सुप्रीम कोर्ट की दंपत्ति को सीख, शादी में उतार-चढ़ाव आते हैं इसे निभाना सीखें

punjabkesari.in Sunday, Mar 17, 2019 - 12:31 PM (IST)

नई दिल्लीः कई बार परिवार के छोटे-छोटे झगड़े आपस में बिना बात किए के कारण इतने बड़े हो जाते हैं कि यह अदालतों तक पहुंच जाते हैं। ऐसे मामलों में अदालतें कई बार पति-पत्नी को आपसी समझ से मामला सुलझाने की भी सलाह देती हैं ताकि रिश्ता खत्म होने से बच सके। कई दंपत्ति तो अदालतों की सीख और समझजाइश को समझकर फिर से जिंदगी शुरू कर लेते हैं लेकिन कई रिश्तों को नहीं निभा पाते। पारिवारिक विवाद निपटाने का एक ऐसा ही मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अमेरिका में रहने वाले दंपत्ति का बच्चों की कस्टडी को लेकर मामला था। कोर्ट ने पति-पत्नी को आपसी समझौते से मामला सुलझाने की सलाह देते हुए कहा कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन इनसे निपटने की क्षमता दोनों में होनी चाहिए। कोर्ट ने अमेरिकी ग्रीन कार्ड धारक महिला को बच्चों के साथ वापस अमेरिका लौटने का निर्देश देते हुए कहा कि अगर वह ऐसा नहीं करती हैं तो यूएस मिशन बच्चों को अपने संरक्षण में ले लेगा।
 

जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस अजय रस्तोगी ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि माता-पिता की बच्चों के प्रति बड़ी जिम्मेदारी होती। बच्चों की देखभाल करना ही नहीं बल्कि उनका सामाजिक विकास, भावनात्मका से उनका जुड़ाव बच्चे यह सब माता-पिता से ही सीखते हैं। जस्टिस अजय और जस्टिस खानविलकर ने कहा कि पति-पत्नी आपसी झघड़े के बाद इससे कुछ समय के बाद बाहर आ जाते हैं लेकिन बच्चों पर इसका गहरा असर पड़ता है जो उनके भविष्य पर ज्यादा प्रभाव डालता है। पति-पत्नी दोनों को ऐसी स्थिति में आपसी सहयोग से मामले सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि घर-परिवार खुशाल बन सके।

यह है मामला
अमेरिका में रहनेवाले पति-पत्नी दोनों ग्रीन कार्ड होल्डर्स हैं। उनके दो बच्चे-7 साल का बेटा और 5 साल की बेटी है। 2016 से दोनों का बच्चों की कस्टडी को लेकर केस चल रहा है। अमेरिका में कोर्ट में मामला दायर रहने के दौरान ही महिला अपने बच्चों के साथ भारत लौट आई थी। 2017 में भारत लौटने के बाद से महिला ने अमेरिका जाने से इनकार कर दिया था। ऐसे में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने महिला को दोनों बच्चों के साथ अमेरिका लौटने का निर्देश दिया। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि तलाक और कस्टडी का मामला दलदल में फंसने जैसा है और इससे बाहर आने के बाद भी उस दौर का दर्द कम नहीं होता। इस सब में सबसे ज्यादा बच्चों को सहन करना पड़ता है, उनके लिए यह अनुभव बहुत दर्दनाक होता है।


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Seema Sharma

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