रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव पेत्रुशेव ने प्रधानमंत्री मोदी से की मुलाकात

punjabkesari.in Wednesday, Sep 08, 2021 - 11:43 PM (IST)

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलोई पेत्रुशेव के भारत दौरे की वजह से दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण क्षेत्रीय मुद्दों की प्रगति को लेकर ‘‘सार्थक'' चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने पेत्रुशेव से मुलाकात के बाद एक ट्वीट में यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव से मिलकर खुशी हुई। उनके दौरे की वजह से दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण क्षेत्रीय मुद्दों की प्रगति को लेकर सार्थक चर्चा हुई।'' 
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पेत्रुशेव दो दिनों की भारत यात्रा पर
पेत्रुशेव दो दिनों की भारत यात्रा पर हैं। अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद 24 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन से बात की थी। दोनों नेताओं की बातचीत के बाद पेत्रुशेव का यह दौरा हुआ है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि पेत्रुशेव ने प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्री के साथ हुए अपने सार्थक विचार विमर्श की जानकारी दी तथा भारत के साथ ‘‘विशेष और विशिष्ट रणनीतिक साझेदारी'' को और ज्यादा प्रगाढ़ बनाने के प्रति रूस की दृढ़ प्रतिबद्धता व्यक्त की।

पीएमओ के मुताबिक प्रधानमंत्री ने क्षेत्र में हो रहे बड़े बदलावों के समय पेत्रुशेव के नेतृत्व में रूसी प्रतिनिधिमंडल के भारत की यात्रा पर आने की सराहना की। उन्होंने सचिव पेत्रुशेव से कहा कि भारत-रूस साझेदारी पर निरंतर ध्यान देने के लिए वह राष्ट्रपति पुतिन को उनकी ओर से धन्यवाद दें। पीएमओ के मुताबिक प्रधानमंत्री ने पेत्रुशेव से कहा कि वह निकट भविष्य में द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति पुतिन का भारत में स्वागत करने को उत्सुक हैं। भारत-रूस शिखर सम्मेलन इस साल के अंत में होने की उम्मीद है।

पेत्रुशेव की प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद रूस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान की स्थिति सहित क्षेत्रीय स्थिरता के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने को लेकर सहमति जताई। रूस के इस शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से तालिबान शासित अफगानिस्तान से पैदा होने वाले किसी भी संभावित सुरक्षा खतरे का मुकाबला करने से जुड़े मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की।

अधिकारियों के अनुसार, डोभाल - पेत्रुशेव वार्ता में तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद भारत, रूस और मध्य एशियाई क्षेत्र पर सुरक्षा प्रभावों पर विचार किया गया क्योंकि जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा सहित कई खतरनाक आतंकवादी समूहों की युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में मजबूत उपस्थिति है। प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत के संबंध में एक रूसी विवरण में कहा गया है कि दोनों देशों की "विशेष सेवाओं और सैन्य निकायों" द्वारा संयुक्त कार्य तेज करने पर गौर किया गया तथा अवैध प्रवासन व मादक पदार्थों की तस्करी और "आतंकवाद विरोधी मार्ग" पर आगे बातचीत पर जोर दिया गया।

बयान के अनुसार 24 अगस्त को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच टेलीफोन पर हुयी बातचीत के बाद अगले कदम के तौर पर अफगानिस्तान में सैन्य, राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ। इसमें कहा गया है कि दोनों पक्ष बहुपक्षीय प्रारूपों में अफगान मुद्दे पर समन्वय करने पर सहमत हुए। "उन्होंने इस देश में मानवीय और प्रवासन जैसी समस्याओं के साथ ही रूसी-भारतीय संयुक्त प्रयासों की संभावनाओं पर भी विवार किया जिसका उद्देश्य अंतर-अफगान वार्ता के आधार पर शांतिपूर्ण प्रक्रिया शुरू करने के लिए स्थितियां बनाना है।" इसमें कहा गया है, "अफगानिस्तान के भविष्य के राज्य ढांचे के मापदंडों को स्वयं अफगान नागरिकों द्वारा परिभाषित करने के महत्व के साथ ही देश में हिंसा, सामाजिक, जातीय ... अंतर्विरोधों को बढ़ने से रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।"

अधिकारियों ने कहा कि अफगानिस्तान से होने वाले आतंकवाद को लेकर भारत और रूस दोनों की समान चिंताएं हैं। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने अफगान भूभाग से संचालित ड्रग्स (नशीला पदार्थ) नेटवर्क से होने वाले खतरों, क्षेत्रीय देशों की भूमिका तथा मौजूदा और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत-रूस सहयोग के ब्योरे पर भी विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि विचार-विमर्श भारत और रूस के बीच घनिष्ठ, भरोसेमंद, विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है जो समय के साथ काफी परिपक्व हुयी है।

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने तालिबान शासित अफगानिस्तान से भारत, रूस और मध्य एशियाई क्षेत्र में किसी भी संभावित आतंकवादी गतिविधि से निपटने के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद संभावित सुरक्षा प्रभावों के संबंध में अपने-अपने आकलन से एक-दूसरे को अवगत कराया तथा यह विचार किया कि किसी भी संभावित चुनौती का सामना करने के लिए किस प्रकार समन्वित दृष्टिकोण का पालन किया जा सकता है। पिछले सप्ताह कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने वरिष्ठ तालिबान नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई से दोहा में मुलाकात की थी और अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल भारत-विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए इस्तेमाल होने की भारत की चिंता से अवगत कराया था। 


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Content Writer

Pardeep

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