रिपोर्ट का दावाः कोरोना संकट की वजह से सरकार पर बढ़ा जनता का भरोसा

punjabkesari.in Thursday, May 07, 2020 - 08:36 PM (IST)

नेशनल डेस्कः कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। चीन से निकले इस वायरस ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है। अधिकांश देशों को महामारी से जंग में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन अच्छी बात यह है कि लोगों का अपनी सरकारों पर विश्वास बढ़ा है। कंसल्टेंसी एडलमैन के ट्रस्ट बैरोमीटर की रिपोर्ट के मुताबिक, लोगों ने 20 वर्षों में पहली बार किसी अन्य संस्थान की तुलना में अपनी सरकार पर अधिक भरोसा जताना शुरू किया है।

सरकारें अब व्यवसायों, गैर-लाभकारी संगठनों और मीडिया की तुलना में अधिक विश्वसनीय हैं। यह एकमात्र ऐसी संस्था है, जिस पर 62 प्रतिशत से अधिक लोगों ने भरोसा जताया है। एडलमैन ने भारत और चीन सहित 11 देशों के 13,000 से अधिक लोगों को सर्वे में शामिल किया। ताजा रिपोर्ट जनवरी में हुए सर्वेक्षण परिणामों के बिल्कुल विपरीत है। पिछले सर्वेक्षण ने व्यवसायों को सबसे भरोसेमंद संस्थान के रूप में दिखाया था, जबकि सरकार और मीडिया सबसे कम भरोसेमंद के रूप में सामने आए थे। नए परिणामों के अनुसार, सरकार में लोगों का विश्वास जनवरी से लगभग 11 फीसदी बढ़ा है। जनवरी में यह 54 और अप्रैल में 65 प्रतिशत हो गया।

भारत में कुछ ऐसा है हाल
सर्वे में चीन, भारत और सऊदी अरब में सरकार पर जनता का विश्वास सबसे ज्यादा पाया गया। भारत में, सरकार के प्रति लोगों के विश्वास में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जिन देशों में विश्वास सबसे कम मिला, उनमें फ्रांस, अमेरिका और जापान शामिल हैं। वहीं, यूके, कनाडा, जर्मनी और दक्षिण कोरिया के लोगों के सरकार के प्रति विश्वास में भारी बदलाव देखा गया है। इन देशों में जनता का विश्वास दो अंकों में पहुंच गया है। संयुक्त राज्य में 46 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें संघीय सरकार पर भरोसा है। जबकि 66 फीसदी ने कहा कि उन्हें स्थानीय या राज्य सरकार पर भरोसा है।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार
वैसे तो 2011 के बाद से, सरकारों के प्रति अविश्वास बढ़ रहा है। लेकिन संभवतः द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यह पहली बार है कि लोगों में यह विश्वास जागृत हो रहा है कि सरकार उन्हें महामारी से प्रकोप से सुरक्षित निकाल लेगी। रिपोर्ट से प्रतीत होता है कि लोग मजबूत और निर्णायक नेतृत्व पर भरोसा करते हैं – फिर भले ही इसके लिए तानाशाही की तरफ झुकाव क्यों न हो। हालांकि यह दुनिया के लिए एक खतरनाक मिसाल भी बन सकता है।


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Yaspal

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