कृषि कानून निरस्त करने का फैसला खालिस्तान समर्थक ताकतों के लिए बड़ा झटका

punjabkesari.in Saturday, Nov 20, 2021 - 05:08 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः  केंद्र की मोदी सरकार ने गुरु नानक जयंती के  पावन अवसर पर तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले का ऐलान कर किसानों के विरोध की आड़ में भारत को अस्थिर करने में जुटी खालिस्तानी और पाकिस्तानी ताकतों को बड़ा झटका दिया है। भारतीय प्रवासी और भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों  ने बताया  कि किसानों के विरोध का इस्तेमाल भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने और भारत की विदेश नीति के हितों को तोड़ने के लिए किया जा रहा था।

 

 एक रिपोर्ट में किसानों के विरोध के आड़ में खालिस्तानियों और ISI द्वारा पेश की गई गंभीर सुरक्षा और विदेश नीति के खतरों परके बारे में खुलासा किया गया है।पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 11 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंज्र मोदी के साथ अपनी मुलाकात के दौरान जोर देकर कहा था कि किसानों का विरोध पंजाब के साथ-साथ पूरे देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है। पंजाब के CMO द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, “कैप्टन सिंह ने प्रधानमंत्री को आगाह किया था कि किसान आंदोलन में पंजाब और देश के लिए सुरक्षा खतरा पैदा करने की क्षमता है, जिसमें पाकिस्तान समर्थित भारत विरोधी ताकतें असंतुष्ट किसानों का शोषण करने की कोशिश कर रही हैं।

 

अमरिंदर सिंह के विचार कांग्रेस नेता और लुधियाना के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू के बयान में परिलक्षित होते हैं, जिन्होंने खालिस्तानियों के हाथों अपने दादा और पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह को खो दिया था। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से इश मामले में हस्तक्षेप करने और स्थिति को नियंत्रित करने का आग्रह किया था। द ट्रिब्यून से बात करते हुए बिट्टू ने कहा था कि, “आंदोलन नियंत्रण से बाहर हो गया है। किसान नेताओं से मेरी अपील है कि अपना आंदोलन वापस ले लें क्योंकि किसानों के विरोध का फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है। इसलिए गृह मंत्री अमित शाह से हस्तक्षेप करने का आग्रह करता हूं।”

 

सुप्रीम कोर्ट में किसानों के विरोध पर सुनवाई के दौरान कानूनी जानकार हरीश साल्वे ने कहा कि सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) विरोध प्रदर्शन में शामिल था। एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने 11 जनवरी 2021 को कहा था  कि लोगों के एक बड़े समूह द्वारा शांति को खतरा है। वैंकूवर स्थित संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने पोस्टर लगाए हैं कि विरोध में शामिल होने वाले किसी भी व्यक्ति को 10,000 का भुगतान किया जाएगा। ” जनवरी 2021 में ही सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने भी यही दलीलें दोहराई थीं।CJI  एस ओ बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक पक्ष द्वारा आरोपों के बारे में पूछताछ की कि विरोध के पीछे सिख फॉर जस्टिस का हाथ था, तो वेणुगोपाल ने कहा, “इस तरह के विरोध खतरनाक हो सकते हैं। ”


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Content Writer

Tanuja

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