‘जम्मू-कश्मीर जिला स्तरीय चुनावों में विश्वसनीयता जरूरी’

punjabkesari.in Saturday, Dec 05, 2020 - 01:26 AM (IST)

श्रीनगरः  जम्मू -कश्मीर जिला स्तर चुनावों से पिछले वर्ष 5 अगस्त को धारा 370 के निरस्त होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया शुरू हुई है। भारतीय जनता पार्टी के लिए इन चुनावों में सबसे बड़ी हिस्सेदारी है जिसने राज्य से विशेष दर्जा वापस लेने और जम्मू-कश्मीर को लद्दाख से अलग कर दोनों को केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। 

पूर्व में ऐसी भी मिसालें थीं जब जम्मू-कश्मीर की मुख्य धारा वाली प्रमुख क्षेत्रीय पाॢटयों ने अपना विरोध जताने के लिए स्थानीय चुनावों का बहिष्कार किया था। भाजपा यह साबित करने के लिए अपना पूरा प्रयास कर रही है कि क्षेत्रीय पाॢटयों जैसे फारुक अब्दुल्ला की नैशनल कांफ्रैंस (नैकां) तथा महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी (पी.डी.पी.) व सज्जाद लोन की जे.एंड के. पीपुल्स कांफ्रैंस और यहां तक कि कांग्रेस ने भी अपना समर्थन खो दिया है।

इन सभी पार्टियों ने भाजपा को दूर रखने के लिए हाथ मिलाया है। यह पहली बार है कि यह सभी पाॢटयां एक साथ चल रही हैं। अभी तक जिला स्तर पर चुनाव शांति प्रिय ढंग से चल रहे हैं और ये सभी संबंधित पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण है। भाजपा इन चुनावों को जीतने की भरपूर कोशिश करेगी। वह जानती है कि जिला स्तरीय चुनाव जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा छीनने के पार्टी के निर्णय पर अपनी मोहर लगाएंगे। 

हालांकि क्षेत्रीय पार्टियों ने शुरूआती दौर में चुनावों को लडऩे में आना-कानी की थी। मगर उसके बाद उन्होंने महसूस किया कि भाजपा क्लीनस्वीप कर देगी और अपने निर्णय पर लोकतांत्रिक मोहर लगा देगी। इन सब पाॢटयों ने मिलकर एक गठजोड़ बनाया और भाजपा के खिलाफ संयुक्त रूप से चुनाव लड़ा। भाजपा के मुख्य चुनावी रणनीतिकार तथा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस गठजोड़ को गुपकार गैंग की संज्ञा दे डाली तथा दावा किया कि यह गठजोड़ राष्ट्रविरोधी फ्रंट है। शाह की यह आदत है कि वह ऐसे नाम प्रत्येक विपक्षी कदम को देते हैं। अब यह स्पष्ट है कि चुनावों को जीतने के लिए पार्टी कोई कसर न छोड़ेगी। वह चाहेंगे कि गठबंधन नेताओं की किसी भी गतिविधि पर अंकुश लगाया जाए। ऐसी भी रिपोर्टें हैं कि गठबंधन के उम्मीदवारों को सुरक्षा उपलब्ध करवाने के नाम पर पुलिस थानों में लम्बे समय तक रखा। उन्हें एक साथ रखा गया और चुनावी प्रचार के लिए बहुत कम समय दिया गया। हालांकि भाजपा उम्मीदवारों को ऐसा कुछ झेलना नहीं पड़ा। 

जब चुनावों की बात होती है तो कोई भी चुनाव भाजपा के लिए छोटा नहीं होता। यही कारण है कि भाजपा चुनावों में अपनी पूरी शक्ति झोंकती है। ऐसा ही उसने हैदराबाद के म्युनिसिपल कार्पोरेशन के चुनावों में भी किया। भाजपा में चुनाव जीतने की भूख अभी भी बरकरार है। पार्टी यह यकीनी बनाना चाहती है कि चुनावों की प्रक्रिया अपनी प्रासंगिकता न खो दे। जैसा कि जम्मू-कश्मीर में हो रहा है। अपनी नई रणनीति के तहत भाजपा ने अब रोशनी भूमि घोटाले को उजागर किया है जिससे अब्दुल्ला तथा मुफ्ती परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इससे भाजपा अन्यों का ध्यान भटकाना चाहती है। जिला स्तर पर चुनावों में भाजपा की जीत या फिर उसका वोट शेयर धारा 370 को निरस्त करने के निर्णय की पुष्टि कर देगा और यह पूरे विश्व को पता चल जाएगा कि आम आदमी आजाद कश्मीर के हक में नहीं है। अमरीका में बाइडेन प्रशासन के लिए भी यह एक संकेत होगा कि वह इस क्षेत्र में नई जमीनी वास्तविकता को देख सकें।-विपिन पब्बी
 


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