पूर्वी लद्दाख की मौजूदा स्थिति पर आज राज्यसभा में बयान देंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

punjabkesari.in Thursday, Feb 11, 2021 - 06:11 AM (IST)

नेशनल डेस्कः भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले साल के अप्रैल महीने से जारी सीमा विवाद को लेकर तनावपूर्ण माहौल चल रहा है। दोनों देशों के बीच वरिष्ठ कमांडर स्तर की नौ दौर की बातचीत होने के बाद भी कोई ठोस हल नहीं निकला है। अब केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को राज्यसभा में बयान देंगे। वे संसद में बताएंगे कि पूर्वी लद्दाख में वर्तमान समय में कैसे हालात हैं। यह जानकारी रक्षा मंत्रालय के ऑफिस ने बुधवार को दी।

मालूम हो कि चीन के रक्षा मंत्रालय ने आज दावा किया है कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोग झील के उत्तरी और दक्षिणी छोर पर तैनात भारत और चीन के अग्रिम पंक्ति के सैनिकों ने बुधवार से व्यवस्थित तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया है। हालांकि, इस पर भारतीय पक्ष की ओर से कोई भी आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है। चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सीनियर कर्नल वू कियान ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोग सो(झील) के उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर तैनात भारत और चीन के अग्रिम पंक्ति के सैनिकों ने बुधवार से व्यवस्थित तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया।

वहीं, चीन के इस दावे पर नई दिल्ली स्थित सूत्रों का कहना है कि भारत और चीन ने टैंक्स, सेना के वाहनों आदि को दक्षिणी पैंगोंग सो से वापस लेना शुरू कर दिया है, लेकिन जवान अभी भी अपनी पॉजिशन पर कायम हैं। 

संसद के मॉनसून सत्र में भी राजनाथ सिंह ने लद्दाख गतिरोध पर जवाब दिया था। राजनाथ सिंह ने कहा था कि हमारे जवानों के हौसले पूरी तरह से बुलंद हैं और हम किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार हैं। रक्षा मंत्री ने बताया कि चीन ने सीमा पर गोला-बारूद इकट्ठा कर लिया है, लेकिन हमारी सेना भी तैयार है। हमारे जवान देशवासियों को सुरक्षित रख रहे हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि किसी को भी हमारे सीमा की सुरक्षा के प्रति हमारे दृढ़ निश्चय के बारे में संदेह नहीं होना चाहिए। भारत मानता है कि पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंधों के लिए आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता जरूरी है। बता दें कि तकरीबन ढाई महीने के बाद भारत और चीन की सेनाओं के वरिष्ठ कमांडरों के बीच में पिछले महीने नौवें दौर की बातचीत हुई थी। चीन की ओर मोल्डो में हुई वार्ता में दोनों पक्षों के बीच डिसएंगेजमेंट पर चर्चा हुई थी।

दोनों देशों के बीच हुई चर्चाओं में भारत का रुख स्पष्ट रहा है कि चीन को अप्रैल की शुरुआत वाली जगह पर वापस जाना होगा। इस बीच, पिछले दिनों चीन ने तकरीबन दस हजार जवानों को वापस भी बुलाया था। मालूम हो कि दोनों पक्षों में जून महीने में दोनों के रिश्ते तब और बिगड़ गए थे, जब 1975 के बाद पहली बार एलएसी पर किसी सैनिक की शहादत हुई थी। गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे, जबकि चीन के भी कई सैनिक मारे गए थे।


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Content Writer

Yaspal

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