मोदी के कामकाज पर राहुल गांधी को नहीं भरोसा, बोले- अगर में प्रधानमंत्री होता तो...

punjabkesari.in Saturday, Apr 03, 2021 - 10:18 AM (IST)

नेशनल डेस्क: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को अमेरिकी के जानेमाने शिक्षण संस्थान ‘हार्वर्ड कैनेडी स्कूल' के छात्रों के साथ ऑनलाइन संवाद किया। इस दौरान उन्हाेंने कोरोना संकट से लेकर भारत चीन विवाद पर खुलकर बात की और लॉकडाउन, EVM का जिक्र कर सरकार के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए।  राहुल गांधी नेयह भी कहा कि अगर वह प्रधानमंत्री बनते हैं तो वो  विकास से ज्यादा नौकरियों पर जोर देंगे।

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भाजपा पर लगाए कई आरोप
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने देश में संस्थागत ढांचे पर सत्तापक्ष की तरफ से पूरी तरह कब्जा कर लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि निष्पक्ष राजनीतिक मुकाबला सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार संस्थाएं अपेक्षित सहयोग नहीं दे रही हैं। ऑनलाइन संवाद में उन्हाेंने असम विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के एक विधायक की कार से ईवीएम मिलने का भी उल्लेख किया। इस कार्यक्रम की मेजबानी अमेरिका के पूर्व राजनयिक निकोलस बर्न्स ने की।

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सत्तापक्ष से लोगों का मोहभंग हो रहा है: राहुल गांधी
कांग्रेस की चुनावी असफलता और आगे की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी ने कहा कि हम आज ऐसी अलग स्थिति में हैं जहां वो संस्थाएं हमारी रक्षा नहीं कर पा रही हैं जिन्हें हमारी रक्षा करनी है। जिन संस्थाओं को निष्पक्ष राजनीतिक मुकाबले के लिए सहयोग देना है वो अब ऐसा नहीं कर रही हैं।  उन्होंने दावा किया कि सत्तापक्ष से लोगों का मोहभंग हो रहा है और यह कांग्रेस के लिए एक अवसर भी है। कोरोना संकट और लॉकडाउन के असर पर कांग्रेस नेता ने कहा कि मैंने लॉकडाउन की शुरुआत में कहा था कि शक्ति का विकेंद्रीकरण किया जाए... लेकिन कुछ महीने बाद केंद्र सरकार की समझ में आया, तब तक नुकसान हो चुका था।

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लोगों के हाथों में पैसे दिए जाने चाहिए: राहुल
यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री बनने का मौका मिलने पर उनकी आर्थिक नीति क्या होगी तो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि वह नौकरियों के सृजन पर जोर देंगे। अर्थव्यवस्था को गति देने के उपाय से जुड़े सवाल पर कांग्रेस नेता ने कहा किअब सिर्फ एक ही विकल्प है कि लोगों के हाथों में पैसे दिए जाएं। इसके लिए हमारे पास ‘न्याय' का विचार है। उन्होंने चीन के बढ़ते वर्चस्व की चुनौती के बारे में पूछे जाने पर कहा कि भारत और अमेरिका जैसे देश लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ ही समृद्धि और विनिर्माण क्षेत्र के विकास से बीजिंग की चुनौती से निपट सकते हैं।


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Content Writer

vasudha

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