कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब के किसानों ने जलाई सबसे ज्यादा पराली

punjabkesari.in Sunday, Nov 15, 2020 - 07:30 PM (IST)

नई दिल्लीः पंजाब में इस मौसम में पराली जलाने की लगभग 74,000 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जो चार साल में सबसे ज्यादा है। विशेषज्ञों का कहना है कि कृषि कानूनों को लेकर किसानों में गुस्सा और सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार कृषकों को वित्तीय प्रोत्साहन नहीं दिया जाना, इसके प्रमुख कारणों में शामिल हो सकते हैं। पंजाब सुदूर संवेदन केंद्र द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 21 सितंबर से 14 नवंबर के बीच पराली जलाए जाने की 73,883 घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2016 के बाद सबसे अधिक है। पंजाब में पिछले साल इसी अवधि में पराली जलाने के 51,048 मामले आए थे और 2018 में 46,559 ऐसी घटनाएं हुई थीं। 2017 में इसी अवधि के दौरान ऐसी 43,149 घटनाएं हुई थीं।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के एक अधिकारी ने कहा कि 4 से 7 नवंबर के बीच पराली जलने की घटनाएं चरम पर पहुंच गई थीं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी एजेंसी सफर के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण में पराली की हिस्सेदारी पांच नवंबर को 42 प्रतिशत तक पहुंच गई, जब क्षेत्र में पराली जलने की 4,135 घटनाएं दर्ज की गई थीं। पंजाब सरकार के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘इस साल बहुत बढ़िया फसल हुई, इसलिए फसल के अवशेषों की मात्रा भी अधिक थी। यह भी प्रतीत होता है कि किसान सहयोग करने को तैयार नहीं हैं। कृषि कानून को लेकर गुस्सा हो सकता है।"

अधिकारी के अनुसार, किसान खुश नहीं हैं क्योंकि सरकार ने उनके लिए वित्तीय प्रोत्साहन नहीं दिया है, जिसका निर्देश उच्चतम न्यायालय ने पराली जलाने से रोकने के लिए दिया था। गौरतलब है कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को किसानों को प्रोत्साहन राशि देने का निर्देश दिया था, जिसके बाद, पंजाब और हरियाणा की सरकारों ने पिछले साल छोटे और गरीब किसानों को 2,500 रुपये प्रति एकड़ देने की घोषणा की थी।

किसानों का कहना है कि इस प्रोत्साहन राशि से उन्हें पराली को ठिकाने लगाने में होने वाले खर्च में मदद मिल सकती है। भारतीय किसान संघ, पंजाब के महासचिव हरिंदर सिंह लखोवाल ने भी कहा कि पराली जलाए जाने की घटनाएं इस साल बहुत अधिक हुई हैं और कृषि कानूनों को लेकर गुस्सा इसका एक प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा, "कोविड-19 महामारी के कारण लोगों के अपने मूल राज्यों को लौट जाने के कारण हुई मजदूरों की अनुपलब्धता भी एक कारण है। इसलिए किसान जल्दी से अपने खेतों को खाली करने के लिए पराली जला रहे हैं।''


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Yaspal

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