राष्ट्रपति ने जमकर की हरियाणा सरकार के विकास कार्यों की प्रशंसा
punjabkesari.in Tuesday, Nov 29, 2022 - 08:38 PM (IST)
चंडीगढ़, 29 नवंबर – (अर्चना सेठी) भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव का शुभारंभ करते हुए हरियाणा सरकार के विकास कार्यों की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता संगोष्ठी का शुभारंभ किया और भगवान श्रीकृष्ण का धन्यवाद किया कि हरियाणा में बतौर राष्ट्रपति उनकी पहली यात्रा का आरंभ धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र से हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस पावन गीता जयंती महोत्सव के अवसर पर उन्हें आनंद की अनुभूति हो रही है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि कुरुक्षेत्र की भूमि पावन भूमि है। इसी सरस्वती के तट पर वेद और पुराणों को लिपिबद्ध किया गया। महाभारत में कुरुक्षेत्र के इस क्षेत्र की तुलना स्वर्ग से की गई है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और लोकमान्य तिलक ने भी पवित्र ग्रंथ गीता से मार्गदर्शन प्राप्त किया था। यह बड़े हर्ष का विषय है कि हरियाणा की मनोहर लाल सरकार ने वर्ष 2016 से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गीता जयंती महोत्सव को मनाने का निर्णय लिया। इस वर्ष महोत्सव में पार्टनर देश नेपाल और पार्टनर राज्य मध्यप्रदेश हैं। उन्हें बड़ी खुशी है कि देश ही नहीं विदेशों से भी लोग इस भव्य आयोजन में पहुंचे हैं। इसके लिए हरियाणा सरकार, मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल व उनकी पूरी टीम बधाई की पात्र है।
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि राज्य सरकार ने अंत्योदय परिवारों की स्वास्थ्य जांच के लिए निरोगी हरियाणा योजना के प्रथम चरण का शुभारंभ किया है, यह प्रशंसा का विषय है। इससे जरुरतमंद परिवारों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि जनमानस तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने सिरसा जिले में मेडिकल कॉलेज बनाने की शुरूआत की है, जो बेहद सराहनीय है। यह हमें गीता के उस संदेश की याद दिलाती है कि समस्त प्राणियों के हितों में लगे लोग भगवान के कृपा पात्र होते हैं। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने राज्य सरकार द्वारा आईटी का प्रयोग करते हुए प्रदेश में ई-टिकटिंग व ओपन लूप टिकटिंग व्यवस्था शुरू करने पर राज्य सरकार की प्रशंसा की।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हरियाणा के लिए बड़े गर्व की बात है कि यहां के जवानों, किसानों व बेटियों ने अपने जीवन में गीता के कर्म करने के संदेश को अपनाया है। इससे जवानों ने देश की सेना में, किसानों ने अन्न पैदा करके और महिलाओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिरंगा फहराकर हरियाणा का गौरव बढ़ाया है। हमें इन सभी पर गर्व है। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि श्रीमद्भगवदगीता अंतरराष्ट्रीय पुस्तक है, विश्वभर में अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है, जितनी टिकाएं श्रीमद्भगवद्गीता पर लिखी गई हैं, शायद ही किसी पुस्तक पर लिखी गई होंगी। श्रीमद्भागवत गीता आध्यात्मिक दीप स्तंभ है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि श्रीमद्भगवदगीता हमें कर्म करने का संदेश देती है, आलस्य का त्याग करने का संदेश देती है। अकर्मनता को त्याग कर कर्म करने से जीवन स्वस्थ होता है। उन्होंने महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि वे श्रीमद्भगवद्गीता को माता मानते थे। उनका कहना था कि जन्म देने वाली मां तो नहीं रही लेकिन संकट के समय गीता मां जरुर उनका मार्गदर्शन करती है। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमें श्रीमद्भगवद्गीता का घर-घर और गांव-गांव में प्रचार व प्रसार करना चाहिए, ताकि लोग गीता के उपदेशों को अपने आचरण में ढाल सकें।
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