‘पीएम श्री स्कूल’ की होगी शुरुआत, भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने पर जोर: धर्मेन्द्र प्रधान

punjabkesari.in Thursday, Jun 02, 2022 - 09:12 PM (IST)

नई दिल्लीः केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार ‘‘पीएम श्री स्कूल'' स्थापित करने की प्रक्रिया में है जो छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करने के उद्देश्य से पूरी तरह आधुनिक सुविधाओं से युक्त होंगे तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रयोगशाला होंगे। गुजरात के गांधीनगर में देशभर के शिक्षा मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन प्रधान ने यह बात कही।

 प्रधान ने कहा कि जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तब ‘राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2021' ने पठन-पाठन के स्तर एवं सीखने के परिणामों को बेहतर बनाने तथा शिक्षा की गुणवत्ता के मूल्यांकन को मजबूत बनाने में हमारे सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के गंभीर प्रयासों के प्रति विश्वास जगाया है। उन्होंने कहा कि जब हम 21वीं सदी के अवसरों एवं चुनौतियों के लिये तैयारी कर रहे हैं तो ऐसे में हमें शिक्षा एवं कौशल से जुड़ी व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना चाहिए। शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हम नई पीढ़ी को 21वीं सदी के ज्ञान एवं कौशल से वंचित नहीं रख सकते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम ‘‘पीएम श्री स्कूल'' स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं जो छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करने को लेकर पूरी तरह आधुनिक सुविधाओं से युक्त होंगे। ये अत्याधुनिक स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रयोगशाला होंगे।''

धर्मेन्द्र प्रधान ने भविष्योन्मुखी मानक मॉडल सृजित करने के लिये ‘‘पीएम श्री स्कूल'' के लिये सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों एवं सम्पूर्ण शैक्षणिक तंत्र से सुझाव एवं राय देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तथा सम्पूर्ण शिक्षा जगत से ‘पीएम श्री स्कूल' के रूप एक भविष्योन्मुखी मानक मॉडल सृजित करने के लिये सुझाव एवं राय मांगता हूं।'' प्रधान ने कहा कि अगले 25 वर्ष भारत को ज्ञान आधारित ऐसी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने के लिये महत्वपूर्ण होंगे जो वैश्विक कल्याण के लिये प्रतिबद्ध हो। विभिन्न राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की उपस्थिति में उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी को मिलकर काम करना है, एक दूसरे के अनुभवों और सफलताओं से सीखना है तथा भारत को और ऊंचाइयों पर ले जाना है।''

प्रधान ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा के महत्व के विषय को रेखांकित करते हुए कहा कि देश की सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं और कोई हिन्दी या अंग्रेजी से कमतर नहीं है। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि कई राज्य नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति से सहमत नहीं हैं और केंद्र सरकार को इस पर कोई एतराज नहीं है क्योंकि हमें पता है कि आप जो भी सोचते हैं, वह लोगों के हित में होगा और हम इसे भी स्वीकार करेंगे। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वर्णित प्रारंभिक शिक्षा से माध्यमिक शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण एवं प्रौढ़ शिक्षा, स्कूली शिक्षा के साथ कौशल विकास के संयोजन, मातृभाषा में पठन पाठन जैसे विषयों का उल्लेख किया और कहा कि ये 21वीं सदी के लिये विश्व नागरिक तैयार करने की दिशा में उठाए जाने वाले कदम हैं।

प्रधान ने कहा कि कर्नाटक, ओडिशा, दिल्ली, मेघालय, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा के मॉडल से शैक्षिक समुदाय काफी लाभ उठा सकता है। उन्होंने कहा कि वे सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों एवं सभी पक्षकारों से राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा तैयार करने एवं गुणवत्तापूर्ण ई सामग्री विकसित करने में सक्रिय हिस्सेदारी करने का आग्रह करते हैं। उन्होंने शिक्षा प्रणाली में सुधारों का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान शुरू किये गए सर्व शिक्षा अभियान से आगे बढ़ते हुए समग्र शिक्षा एवं अन्य सुधारों का शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि सम्मेलन में सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों द्वारा साझा किये गए अनुभव एवं ज्ञान तथा व्यवस्थित एवं परिणामोन्मुखी चर्चा हमें ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020' की तर्ज पर हमारे पठन-पाठन के परिदृश्य में बदलाव की दिशा में एक कदम आगे ले जायेगी।


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Content Writer

Yaspal

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