'कभी भगवा साफा तो कभी सिख पगड़ी', अपने लुक को लेकर इन खास मौकों पर खूब सुर्खियों में रहे PM मोदी
punjabkesari.in Friday, Jan 28, 2022 - 05:42 PM (IST)
नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने अलग-अलग लुक को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। कुछ खास पलों में उनका पहनावा भी काफी खास ही होता है। हाल ही में 73वें गणतंत्र दिवस के मौके पर ब्रह्मकमल से सुसज्जित उत्तराखण्ड की टोपी और मणिपुर का पारंपरिक गमछा ‘लेंग्यान' धारण कर सभी का ध्यान आकर्षित करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नेशनल कैडेट कोर (NCC) की एक रैली में सिख पगड़ी पहनी। राजधानी के करियप्पा मैदान में आयोजित NCC की रैली में प्रधानमंत्री ने हरे रंग की पगड़ी पहनी, जिसपर लाल रंग का पंख लगा था। सिख कैडेट इस प्रकार की टोपी पहनते हैं।
गणतंत्र दिवस पर दो राज्यों के परिधानों को पहना
राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने पहुंचे मोदी ने उत्तराखंड और मणिपुर के पारंपरिक परिधानों के अभिन्न अंगों को धारण किया था। उन्होंने उत्तराखंड की टोपी और मणिपुर के लेंग्यान को प्राथमिकता दी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री जब भी केदारनाथ धाम जाते हैं, वह पूजा के लिए ब्रह्मकमल का ही उपयोग करते हैं। ब्रह्मकमल उत्तराखंड का राजकीय फूल है। उत्तराखंड और मणिपुर के साथ पंजाब में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। मणिपुर में दो चरणों में मतदान होना होना हैं वहीं उत्तराखंड और पंजाब में एक चरण में मतदान होगा।
इन खास मौके पर भी दिखा अलग लुक
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री की पगड़ियां चर्चा का विषय रहती हैं।
- पिछले साल 72वें गणतंत्र दिवस पर मोदी ने गुजरात के जामनगर की विशेष टोपी पहनी थी जबकि स्वतंत्रता दिवस पर उन्होंने केसरी रंग का साफा पहना और इसका पिछला हिस्सा उनके गमछे के बॉर्डर के समान था।
- 71वें गणतंत्र दिवस पर भगवा रंग की “बंधेज“ पगड़ी पहनी थी।
- साल 2014 में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर अपने पहले संबोधन के लिए वह गहरे लाल रंग का जोधपुरी बंधेज साफा बांधकर पहुंचे थे, जिसका पिछला हिस्सा हरा था।
- साल 2015 में उन्होंने बहुरंगी साफा बांधा था ।
- 2016 में लहरिया गुलाबी और पीले रंग का साफा बांधा था।
- 2017 में गहरे लाल और पीले रंग के मिश्रण वाली पगड़ी पहनी थी जिसमें सुनहरे रंग की धारियां थी। 2018 में वह भगवा रंग का साफा बांधकर लाल किले पहुंचे थे। ऐसे अवसरों पर प्रधानमंत्री का साफा या उनकी पगड़ी जहां आकर्षण का केंद्र रहते हैं वहीं इनमें एक संदेश भी निहित होते हैं।
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