चौरी चौरा शताब्दी समारोह में बोले PM मोदी-किसानों की जमीन सिर्फ उनकी है, कोई नहीं छीन सकता

punjabkesari.in Thursday, Feb 04, 2021 - 12:58 PM (IST)

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चौरी चौरा शताब्दी समारोह की शुरुआत की और एक विशेष डाक टिेकट भी जारी किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि कृषि कानून से छोटे किसानों का लाभ होगा। साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि किसानों की जमीन किानों की रहेगी, कोई दूसरा उस पर नजर भी नहीं डाल सकता। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार का लक्ष्य है कि किसान आत्मनिर्भर बनें और हम उनके लिए काम करते रहेंगे।

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पीएम मोदी ने कहा कि चौरी चौरा की ऐतिहासिक घटना में किसानों की भी प्रमुख भूमिका थी। किसान देश का अभिन्न अंग हैं। महामारी की चुनौतियों के बीच भी हमारा कृषि क्षेत्र मजबूती से आगे बढ़ा और किसानों ने रिकॉर्ड उत्पादन करके दिखाया। हमारा किसान अगर और सशक्त होगा, तो कृषि क्षेत्र की प्रगति और तेज होगी। उन्होंने कहा कि किसानों को सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। मंडियां किसानों के फायदे का बाजार बनें, इसके लिए 1,000 और मंडियों को ई-नाम से जोड़ा जाएगा।

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पीएम मोदी के संबोधन के प्रमुख अंश

  • चौरी चौरा की पवित्र भूमि पर देश के लिए बलिदान होने वाले, देश के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा देने वाले वीर शहीदों के चरणों में मैं प्रणाम करता हूं, आदरपूर्वक श्रद्धाजंलि देता हूं।
  • 100 वर्ष पहले चौरी चौरा में जो हुआ वो सिर्फ एक आगजनी की घटना, एक थाने में आग लगा देने की घटना नहीं थी, चौरी चौरा का संदेश बहुत बड़ा था, बहुत व्यापक था।
  • अनेक वजहों से पहले जब भी चौरी-चौरा की बात हुई उसे एक मात्र मामूली आगजनी के संदर्भ में ही देखा गया, लेकिन आगजनी किन परिस्थितियों में हुई, क्या वजह थी, ये भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
  • आग थाने में नहीं लगी थी, आग जन-जन के दिलों में प्रज्ज्वलित हो चुकी थी। चौरी-चौरा के ऐतिहासिक संग्राम को आज देश के इतिहास में जो स्थान दिया जा रहा है, उससे जो जुड़ा हुआ प्रयास हो रहा है वो प्रशंसनीय है।
  • आज से शुरू हो रहे ये कार्यक्रम पूरे साल आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान चौरी-चौरा के साथ ही हर गांव, हर क्षेत्र के वीर बलिदानियों को भी याद किया जाएगा।
  • सामूहिकता की जिस शक्ति ने गुलामी के बेड़ियों को तोड़ा था, वही शक्ति भारत को दुनिया की बड़ी ताकत भी बनाएगी। सामूहिकता की यही शक्ति आत्मनिर्भर भारत अभियान का मूलभूत आधार है।
  • कोरोना काल में भारत ने दुनिया के 150 से ज्यादा देशों के नागरिकों की मदद के लिए दवाइयां भेजी। भारत ने दुनिया के अलग अलग देशों से अपने 50 लाख से अधिक नागरिकों को स्वदेश लाने का काम किया।
  • जब भारत ने अनेकों देशों के हजारों नागरिकों को सुरक्षित उनके देश भेजा। दुनिया के बड़े बड़े देशों से भी तेज गति से टीकाकरण कर रहा है।
  • भारत मानव जीवन की रक्षा के लिए दुनिया भर को वैक्सीन पहुंचा रहा है। तो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की आत्मा को गर्व महसूस होता होगा।
  • कई दिग्गज ये कह रहे थे कि देश ने बड़े संकट का सामना किया है इसलिए सरकार को टैक्स बढ़ाना ही पड़ेगा। लेकिन इस बजट में देशवासियों पर कोई बोझ नहीं बढ़ाया गया, बल्कि देश को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने ज्यादा से ज्यादा खर्च करने का फैसला लिया है।

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चौरी-चौरा का इतिहास
इतिहास बताता है कि 4 फरवरी को स्थानीय लोग चौरी-चौरा कस्बे में, महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन के समर्थन में जुलूस निकाल रहे थे तभी स्थानीय पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई। पुलिस की गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। इससे प्रदर्शनकारियों का आक्रोश भड़क गया। तब पुलिस वाले थाने में छिप गए, लेकिन लोगों ने बाहर से कुंडी लगाकर थाने में आग लगा दी। इस घटना में 22 पुलिसकर्मी मारे गए थे।

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घटना की प्रतिक्रिया में, अहिंसा के पैरोकार महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया। चौरी-चौरा काण्ड में 172 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। बतौर वकील पंडित मदन मोहन मालवीय की पैरवी से इनमें से 151 लोग फांसी की सजा से बच गए। बाकी 19 लोगों को 2 से 11 जुलाई 1923 के दौरान फांसी दे दी गई। इस घटना में 14 लोगों को उम्र कैद और 10 लोगों को 8 साल सश्रम कारावास की सजा हुई। जिन लोगों को फांसी दी गई, उनकी याद में एक स्मारक बनाया गया।


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Seema Sharma

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