जर्मनी यात्रा में बोले पीएम मोदी- रूस-यूक्रेन जंग को लेकर चिंतित है भारत

punjabkesari.in Monday, May 02, 2022 - 08:39 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्ज के साथ द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण आयामों की समीक्षा की और यूक्रेन संकट का उल्लेख करते हुए कहा कि युद्ध में कोई विजयी नहीं होगा, सभी को नुकसान होगा, इसलिए भारत शांति के पक्ष में हैं। वहीं, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्ज ने जर्मनी में जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया। शॉल्ज ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन वार्ता में भारत की भूमिका अहम है।

दोनों पक्षों के बीच बैठक के बाद संयुक्त प्रेस वार्ता में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यूक्रेन के संकट के आरंभ से ही हमने तुरंत युद्धविराम का आहृवान किया और इस बात पर जोर दिया था कि विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत ही एक मात्र उपाय है। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा मानना है कि इस युद्ध में कोई विजयी नहीं होगा, सभी को नुकसान होगा इसलिए हम शांति के पक्ष में हैं।''

मोदी ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष से उथल-पुथल के कारण तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं, विश्व में खाद्यान्न और उर्वरकों की भी कमी हो रही है। उन्होंने कहा कि इससे विश्व के हर परिवार पर बोझ पड़ा है किंतु विकासशील और गरीब देशों पर इसका ज्यादा गंभीर असर हो रहा है। जर्मनी के साथ संबंधों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि लोकतांत्रिक देशों के तौर पर भारत और जर्मनी कई मूल्यों को साझा करते हैं तथा इन साझा मूल्यों और साझा हितों के आधार पर पिछले कुछ वर्षों में हमारे द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड बाद के काल में भारत अन्य बड़ी अर्थव्यवस्था के मुकाबले सबसे तेज वृद्धि देख रहा है। ‘‘हमें विश्वास है कि भारत वैश्विक रिकवरी का महत्वपूर्ण स्तंभ बनेगा।'' उन्होंने कहा ‘‘ हाल ही में हमने बहुत कम सयम में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।' उन्होंने कहा कि भारत यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता वार्ता में त्वरित प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है।

बर्लिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्ज ने शिष्टमंडल स्तर की वार्ता की वार्ता की जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने भी हिस्सा लिया। बाद में मोदी और ओलाफ ने छठे भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श (आईजीसी) कार्यक्रम की सह अध्यक्षता की । आईजीसी की शुरुआत 2011 में हुई थी। यह एक विशिष्ट द्विवार्षिक तंत्र है जो दोनों देशों की सरकारों को व्यापक द्विपक्षीय मुद्दों पर समन्वय की मंजूरी देता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी पिछली आईजीसी 2019 में हुई थी, तब से विश्व में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव डाला है। मोदी ने कहा कि हाल की भू राजनीतिक घटनाओं ने भी दिखाया कि विश्व की शांति और स्थिरता कितनी नाजुक स्थिति में है और सभी देश एक दूसरे से कितने जुड़े हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Yaspal

Recommended News

Related News