श्रीनगर में मुहर्रम का जुलूस कवर कर रहे पत्रकारों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया
punjabkesari.in Tuesday, Aug 17, 2021 - 09:00 PM (IST)
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने यहां मुहर्रम का पारंपरिक जुलूस कवर कर रहे पत्रकारों के एक समूह पर मंगलवार को लाठीचार्ज किया, जिसकी विभिन्न हलकों में निंदा की गई। पुलिस ने शहर के जहांगीर चौक पर मुहर्रम के 10 दिनों की शोक की अवधि के आठवें दिन जुलूस निकालने की कोशिश कर रहे कुछ शिया मुसलमानों को हिरासत में भी लिया। पत्रकारों ने बताया कि मीडियाकर्मी अपना पेशेवर कर्तव्य निभा रहे थे, तभी पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। इन मीडियाकर्मियों में अधिकतर फोटो एवं वीडियो पत्रकार थे। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों ने कुछ पत्रकारों को डंडों से पीटा और उनके उपकरणों को नुकसान पहुंचाया। इस घटना के वीडियो विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर अपलोड किए गए हैं।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचा और पत्रकारों को भरोसा दिलाया कि मामले की जांच की जाएगी।
कश्मीर प्रेस फोटोग्राफर एसोसिएशन (केपीपीए) ने पुलिस के बल प्रयोग की निंदा की है। फोटो पत्रकारों के इस संगठन ने बयान में कहा, "केपीपीए इस कार्रवाई को अन्यायपूर्ण और अवांछित करार देता है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुलिस ने अपना पेशेवर कर्तव्य निभा रहे फोटो पत्रकारों की पिटाई की और उन्हें अपना पेशेवर कर्तव्य निभाने से रोका।"
मुहर्रम का यह पारंपरिक जुलूस अबी गुजर, लाल चौक और डलगेट इलाके से गुजरता है लेकिन वर्ष १९९० के दशक में आंतकवाद की शुरुआत होने के बाद से इसपर रोक लगी है क्योंकि अधिकारियों का मानना है कि धार्मिक समागम का इस्तेमाल अलगाववादी राजनीति को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने कहा कि पुलिस जनता की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करती है लेकिन साथ ही यह संयुक्त जिम्मेदारी है कि निहित स्वार्थ के तहत काम करने वालों के मंसूबों को नाकाम किया जाए जो शांतिपूर्ण माहौल को भंग करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस बीच, नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण है और उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा सुनिश्चित करेंगे कि ऐसी घटना दोबारा नहीं हो।
अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, "जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा श्रीनगर में पत्रकारों की बेरहमी से पिटाई करते हुए देखना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।ये लोग केवल अपना काम कर रहे थे। खबर की रिपोर्टिंग कर रहे थे। वे खबर नहीं बना रहे थे और वे खबर के लिए घटना के रचनाकार नहीं थे। मैं उम्मीद करता हूं कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल सुनिश्चित करेंगे कि यह दोबारा नहीं हो।"
He’s an independent photo-journalist. His camera is his livelihood. The administration owes it to Sajad to compensate him for the loss he has suffered while working. https://t.co/A985wxPPx8
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) August 17, 2021
उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच और उन फोटो पत्रकारों को मुआवजा देने की मांग की जिनके उपकरण पुलिस कार्रवाई के दौरान क्षतिग्रस्त हुए है।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, "मीडिया अफगानिस्तान में पैदा हो रहे संकट और मानव त्रासदी पर घंटों बहस कर रहा है, लेकिन क्या वह कश्मीर में अपने ही समुदाय के उन सदस्यों के लिए आवाज उठाएगा, जिन्हें सुरक्षाबलों ने अपना काम करने पर आज बुरी तरह पीटा?"
Media is spending hours debating the human tragedy & unfolding crisis in Afghanistan but will they speak up for their own community in Kashmir who were beaten to pulp today by security forces for doing their job? https://t.co/PcjYBQZMqQ
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) August 17, 2021
जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी)ने एक बयान जारी कर घटना को च्दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया।
सज्जाद लोन की पार्टी जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस ने भी घटना की निंदा की।
Media is spending hours debating the human tragedy & unfolding crisis in Afghanistan but will they speak up for their own community in Kashmir who were beaten to pulp today by security forces for doing their job? https://t.co/PcjYBQZMqQ
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) August 17, 2021
अपनी पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गुलाम हसन मीर ने मीडिया कर्मियों की पिटाई को 'अलोकतांत्रिक' करार दिया।