कांग्रेस का मोदी सरकार पर वार, कहा- आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संसद को किया गुमराह

punjabkesari.in Monday, Feb 10, 2020 - 06:58 PM (IST)

नई दिल्लीः कांग्रेस ने नियुक्ति एवं पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत के वक्तव्य को लेकर सोमवार को आरोप लगाया कि सरकार ने इस विषय पर संसद को गुमराह किया है। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि संसद को गुमराह करने को लेकर कांग्रेस गहलोत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाएगी।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संसद परिसर में कहा‘‘मोदी सरकार का एससी-एसटी के आरक्षण को लेकर पूर्वाग्रह और षड्यंत्र सामने आ गया है। मोदी सरकार और मंत्री ने यह नहीं बताया कि उत्तराखंड की पूर्व की कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्टमें कभी भी अपील या विशेष अनुमति याचिका दायर नहीं की।'' उन्होंने कहा, ‘‘अपील उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने की, दलील उसने पेश की। आरक्षण खत्म करने का निर्णय भाजपा सरकार के समय आया। इसके बावजूद देश से माफी मांगने की बजाय कांग्रेस पर आरोप लगाए जा रहे हैं।''

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक बयान में कहा, ‘‘एक बार फिर भाजपा, मोदी सरकार, उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने मिलकर देश के संविधान तथा एससी/एसटी/ओबीसी के आरक्षण के मौलिक अधिकार पर शरारतपूर्ण, षडयंत्रकारी व घिनौना हमला बोला है। इसका सबूत उत्तराखंड भाजपा सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दी गई दलील है।'' उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा सरकार की इस संविधान तथा एससी/एसटी विरोधी दलील को सुप्रीम कोर्ट ने भी दुर्भाग्यवश स्वीकार कर लिया तथा अपने निर्णय में यह कहा कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण देना या न देना सरकार की मर्जी पर निर्भर है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पैरा 12 में यह स्पष्ट है।''

वेणुगोपाल ने दावा किया, ‘‘ अब यह साफ है कि भाजपा आरक्षण के संविधान निहित अधिकार को ही पूरी तरह खत्म कर देना चाहती है। मोदी सरकार आरक्षण व्यवस्था तोड़ने पर संसद को गुमराह कर रही है।'' दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सरकार से स्पष्टीकरण देने की विपक्षी दलों की मांग पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने उच्च सदन में कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट ने सात फरवरी को प्रोन्नति में आरक्षण के बारे में निर्णय दिया है। यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसको ध्यान में रखते हुये सरकार इस पर उच्चस्तरीय विचार विमर्श कर रही है।'' उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्टने सात फरवरी को दिये अपने एक फैसले में कहा कि पदोन्नति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है।

 


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Yaspal

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