फांसी से पहले ये थी अफजल गुरु की आखिरी इच्छा, जानें कैसे गुजारे थे वो पल

punjabkesari.in Friday, Dec 13, 2019 - 12:51 PM (IST)

नेशनल डेस्कः  विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का मंदिर आज से 17 साल पहले आतंकी हमले का शिकार हुआ। बात सालों पुरानी जरुर हो गई है, लेकिन उसकी यादें अभी भी लोगों के जहन में जिंदा है। इस हमले में भारत के 5 जवान के साथ सीआरपीएफ की एक महिला कॉस्टेबल और दो सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। 

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अफजल गुरु को हुई थी फांसी
संसद पर हमला करने वाले पांचों आतंकी फर्जी पहचान पत्र के जरिए अंदर घुसे थे। इस हमले के लिए अफजल गुरु समेत चार लोगों को बाद में अदालत ने दोषी करार दिया था। इसमें से मुख्य साजिशकर्ता अफजल गुरु को नौ फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी। उसने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की थी। दया याचिका को 3 फरवरी, 2013 को राष्ट्रपति ने खारिज कर दी थी। संसद भवन पर हुआ ये हमला भारतीय इतिहास की बड़ी आतंकी घटनाओं में से एक है। 


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ये थी अफजल गुरु को आखिरी इच्छा
फांसी से पहले भारतीय संसद पर हमला करने के दोषी अफजल गुरु ने अंतिम इच्‍छा के रूप में कुरान की एक प्रति मांगी थी। जेल प्रशासन ने उसकी अंतिम इच्‍छा पूरी कर दी थी। आतंकवादी अफजल गुरु को आखिरी वक्त तक यही लगता रहा कि उसे फांसी की सजा नहीं मिलेगी। उसे उम्मीद थी कि उसकी सजा उम्रकैद में तब्दील हो जाएगी। 9 फरवरी की सुबह जब उसे फांसी घर ले जाया गया, तब उसे एहसास हुआ कि उसका वक्त खत्म हो गया है।

 

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ऐसे गुजरे आखिरी पल
8 फरवरी शुक्रवार को 5 बजे अफजल गुरु को बताया गया कि अगले दिन सुबह 8 बजे उसे फांसी दे दी जाएगी। यह सुनकर वह सन्न रह गया। उसे उम्मीद नहीं थी कि ऐसा होगा। क्योंकि, वह लगातार अपने परिजनों और वकीलों से अपनी सजा माफी कराने के बारे में मशवरा कर रहा था। उसे उम्मीद नहीं थी कि उसे इस तरह से एकदम फांसी हो जाएगी। फांसी से पहले अफजल की हाइट मापी गई और वजन भी तौला गया। यह सब करना इसलिए जरूरी है, ताकि यह देखा जा सके कि फंदे की रस्सी उसका वजन सह सकती है या नहीं। इसके बाद डॉक्टरों ने उसका ब्लड प्रेशर चेक किया। तमाम जरूरी चीजें चेक कर लेने के बाद अफजल को उसके सेल में भेज दिया गया। शनिवार सुबह वह घड़ी आ पहुंची, जब अफजल को फांसी दी जानी थी। 

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फांसी देने से पहले जल्लाद ने अफजल गुरु से मांगी माफी
जब अधिकारी उसे लाने के लिए उसके सेल में दाखिल हुए, तो पता चला कि वह पहले से जगा हुआ था। उसका खाना भी जस का तस पड़ा था। इसके बाद वह नहाया और नमाज अता की। अब उसे यकीन हो चुका था कि अंत नजदीक है। फांसी देने वाला जल्लाद उसके पास आया और माफी मांगी। रवायत के मुताबिक फांसी देने से पहले जल्लाद कहता है कि वह अपनी इच्छा से जान नहीं ले रहा। इसके बाद जैसे ही घड़ी ने 8 बजाए, अफजल को फांसी पर लटका दिया गया। 5 मिनट बाद डॉक्टर सीढिय़ों से उतरकर फांसी के तख्ते के नीचे गए और उसकी नब्ज चेक की। इसके बाद उन्होंने 3 मिनट तक और इंतजार किया और दोबारा नब्ज देखने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।


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Edited By

Anil dev

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