पाकिस्तान सरकार ने गुरुद्वारा शहीद भाई तारू सिंह किया सील

punjabkesari.in Thursday, Jul 15, 2021 - 06:17 PM (IST)

इस्लामाबादः पाकिस्तान में स्थानीय सिखों और दावत-ए-इस्लामी (बरेलवी) के कार्यकर्ताओं के बीच भूमि विवाद के बाद पाकिस्तान सरकार ने ऐतिहासिक गुरुद्वारा शहीद भाई तारू सिंह को सील कर दिया । सूत्रों के अनुसार गुरुद्वारा सील होने के बाद अब पाकिस्तानी सिख समुदाय भाई तारू की शहादत की सालगिरह पास के गुरुद्वारा शहीद गंज सिंह सिंघानिया में मनाने के लिए मजबूर  है। अखंड पाठ का भोग शुक्रवार को गुरुद्वारा शहीद गंज सिंह सिंघानिया में होगा जहां  स्थानीय सिख आबादी भाई तारू सिंह की पुण्यतिथि मनाने के लिए एकत्रित होगी।

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सूत्रों के अनुसार दावत-ए-इस्लामी (बरेलवी) के अनुयायियों का दावा है कि गुरुद्वारा मुस्लिम पीर काकू शाह की कब्रगाह पर बना है इसलिए  वे उसी परिसर में गुरुद्वारे को अस्तित्व में नहीं आने देंगे।  तनाव बढ़ता देख पाकिस्तान सरकार ने हस्तक्षेप किया और किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना को टालने के लिए उस परिसर को सील कर दिया जिसमें एक गुरुद्वारा और एक मजार है। सूत्रों ने बताया कि गुरुद्वारे के पास एक 5 कनाल प्लॉट मौजूद था जिसे दावत-ए-इस्लामी (बरेलवी) समूह हड़पने का इरादा रखता था और पाकिस्तान के सिखों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा था। सूत्रों ने  बताया कि सुहेल भट्ट अटारी और राजा भट्ट सहित कुछ स्थानीय मुसलमानों ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि यह जमीन पीर काकू शाह मजार की है और उन्होंने सिख धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का भी इस्तेमाल किया।

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उल्लेखनीय है कि  ईटीपीबी और पीएसजीपीसी के अधिकारियों ने बुधवार को पाकिस्तान में गुरुद्वारों के विकास के साथ-साथ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अध्यक्ष बीबी जागीर कौर और अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को करतारपुर साहिब के गुरुद्वारा दरबार साहिब में सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव की पुण्यतिथि में शामिल होने के लिए यात्रा के लिए  निमंत्रण के संबंध में एक संयुक्त बैठक की लेकिन दुर्भाग्य से, उन्होंने गुरुद्वारा भाई तारू सिंह का मुद्दा नहीं उठाया जो ईटीपीबी के इरादों और पीएसजीपीसी की लाचारी को दर्शाता है।

 

भाई तारू सिंह का इतिहास
गुरु गोविंद  सिंह ने कहा था कि सिख की पहली पहचान उसके केश होते हैं इसलिए सिखों को अपने केश नहीं कटवाने चाहिए। गुरु गोविंद सिंह की इस बात का अनुसरण लंबे समय से हर सिख करता आ रहा है। मगर भाई तारू सिंह इतिहास के पन्नों में दर्ज वो नाम हैं जिन्होंने इस्लामिक कट्टरपंथी व सिखों पर अत्याचार करने वाले लाहौर गवर्नर जकारिया खान बहादुर के कहने पर भी अपने केश नहीं उतारे बल्कि जब दबाव बनाया गया तो केश उतरवाने की जगह पूरी खोपड़ी ही उसके हवाले कर दी ।

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आज ‘भाई तारू सिंह’ सिखों के बीच वो नाम है जिसे सिख धर्म के इतिहास में गर्व से लिया जाता है। उनकी शहीदी को कोई भी सिख भूल नहीं सकता। यही कारण है कि उनके नाम तारू सिंह के सामने सिख उन्हें भाई लगाकर सम्मान देते हैं और उन्हें भाई साहिब भी कहा जाता है। युवा किसान भाई तारू सिंह अमृतसर के पास पुल्हा गाँव के रहने वाले थे। वे पंजाब के गवर्नर ज़कारिया खान के शासन के दौरान सिख सैनिकों को सहायता प्रदान करने के लिए जाने जाते थे ।


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Content Writer

Tanuja

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