करतारपुर कॉरिडोर खोलने की जल्दबाजी में पाक, लेकिन नहीं किया समझौते का सम्मान
punjabkesari.in Saturday, Jun 27, 2020 - 07:44 PM (IST)
नई दिल्लीः पाकिस्तान सिख गुरू महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर वह सोमवार को करतारपुर गलियारा पुन: खोलने के की तैयारी में है। इसके लिए उसने भारत को सूचित कर दिया है। लेकिन पाकिस्तान ने द्विपक्षीय समझौते का सम्मान नहीं किया, जिसमें कहा गया था कि कॉरिडोर को खोलने से पहले भारत को 7 दिन पहले सूचित करना होगा। इसके अलावा इसमें इस बात का भी जिक्र था कि पाकिस्तान रावी नहीं पर पुल का निर्माण करेगा। हालांकि उसने ऐसा नहीं किया है। वहीं, भारत ने भी पाकिस्तान को जवाब दिया है। सूत्रों के मुताबिक, “भारत की ओर से कहा गया है कि करतारपुर कॉरिडोर खोलने को लेकर कहा कि इसके लिए पहले स्वास्थ्य अधिकारियों और अन्य संबंधित अधिकारियों से विचार विमर्श किया जाएगा। उसके बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।“
अस्थायी तौर पर बंद है करतारपुर कॉरिडोर
सूत्रों ने बताया कि कोरोना वायरस के प्रसार को देखते हुए करतारपुर कॉरिडोर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। यह खतरा अब भी बरकरार है। पाकिस्तान में 2 लाख से ज्यादा संक्रमित हैं। 4 हजार से ज्यादा की मौत हो चुकी है। समझौते के तहत पाकिस्तान को अपनी तरफ बहने वाली रवि नदी पर ब्रिज बनाना था। लेकिन, उसने नहीं बनाया। ब्रिज बनता तो सिख श्रद्धालुओं की यात्रा सुरक्षित और आसान हो जाती। मॉनसून के दौरान तो यह और भी जरूरी हो जाता है।
पाकिस्तान की चाल
दरअसल, पाकिस्तान खुद को दोस्ती और अमन का पैरोकार साबित करने की साजिश रच रहा है। 27 जून को करतारपुर कॉरिडोर खोलने का ऐलान करता है। इसके लिए सिर्फ दो दिन का वक्त देता है। जबकि, दोनों देशों के बीच समझौते के तहत यह तय है कि किसी भी यात्रा के लिए कम से कम 7 दिन पहले एक-दूसरे को जानकारी देनी होगी। इससे भारत को भी तैयारी के लिए वक्त मिलता। रजिस्ट्रेशन प्रॉसेस शुरू किया जाता।
क्यों कर रहा है पाकिस्तान जल्दबाजी
गौरतलब है कि भारत ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को बड़े पैमाने पर कमतर करते हुए उससे मंगलवार को कहा था कि वह यहां अपने उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या अगले सात दिनों के अंदर 50 प्रतिशत घटाए। साथ ही, विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में इसी अनुपात में अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती करने की भी घोषणा की। भारत ने कहा है कि यह फैसला ‘‘जासूसी गतिविधियों'' में पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारियों की कथित संलिप्तता और उनका आतंकवादी संगठनों से संपर्क रखने की घटनाओं पर आधारित है। पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के भारत के फैसले के बाद पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में नियुक्त भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर राजनयिक संबंधों को कमतर किया था।
सिख श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक
करतारपुर साहिब गुरुद्वारा रावी नदी के पास पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है और डेरा बाबा नानक से करीब चार किलोमीटर दूर हैं। यहां गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे। कॉरिडोर के जरिए 2018 में गुरुद्वारा करतारपुर साहिब और भारत के गुरदासपुर स्थित डेरा बाबा साहिब को जोड़ा गया।