कश्मीर पर भारत के फैसले पर प्रतिक्रिया के लिए पाकिस्तान के पास सीमित ‘विकल्प''

punjabkesari.in Wednesday, Jan 22, 2020 - 02:00 PM (IST)

वॉशिंगटनः अमेरिका की एक कांग्रेशनल रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी नेतृत्व के पास जम्मू-कश्मीर पर भारत के फैसले पर प्रतिक्रिया देने के ‘‘विकल्प सीमित'' हैं। कई विश्लेषकों का मानना है कि इस्लामाबाद का आतंकवादी संगठनों को गुपचुप समर्थन देने के लंबे इतिहास को देखते हुए उसकी इस मुद्दे पर ‘‘विश्वसनीयता कम'' है।

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कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (CRS) ने छह महीनों से कम समय में कश्मीर पर अपनी दूसरी रिपोर्ट में यह भी कहा कि हाल के वर्षों में सैन्य कार्रवाई के जरिए यथास्थिति बदलने की पाकिस्तान की क्षमता भी कम हुई है जिसका मतलब है कि वह मुख्यत: कूटनीति पर निर्भर रह सकता है। CRS अमेरिकी कांग्रेस की स्वतंत्र शोध शाखा है जो अमेरिकी सांसदों की रूचि के मुद्दों पर नियतकालिक रिपोर्टें तैयार करती है। CRS ने 13 जनवरी की अपनी रिपोर्ट में कहा कि पांच अगस्त के बाद पाकिस्तान ‘‘कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग दिखाई दिया।'' केवल तुर्की ने इसका समर्थन किया।

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5 अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के मोदी सरकार के फैसले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए। पाकिस्तान इस मुद्दे पर भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग जुटाने की कोशिश करता रहा है। भारत का कहना है कि यह कदम ‘‘पूरी तरह से उसका आंतरिक मामला'' है।  CRS ने कहा, ‘‘कई विश्लेषकों का मानना है कि कश्मीर पर आतंकवादी संगठनों को गुपचुप समर्थन करने के पाकिस्तान के लंबे इतिहास को देखते हुए कश्मीर पर उसकी बेहद कम विश्वसनीयता है।

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पाकिस्तानी नेतृत्व के पास भारत के कदमों पर प्रतिक्रिया देने के विकल्प सीमित हो गए हैं और कश्मीरी आतंकवाद को समर्थन देने से उसे अंतरराष्ट्रीय रूप से कीमत चुकानी पड़ेगी।''CRS के अनुसार, कश्मीर पर लंबे समय से अमेरिका का रुख यह रहा है कि यह मुद्दा कश्मीरी लोगों की इच्छाओं पर विचार करते हुए भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के जरिए हल होना चाहिए। 

 


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Tanuja

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