Padma Awards 2020: जानिए कौन हैं ये शख्सियत जिन्हें किया गया सम्मानित

punjabkesari.in Sunday, Jan 26, 2020 - 06:42 AM (IST)

नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्रियों अरूण जेटली, सुषमा स्वराज एवं जार्ज फर्नांडीस, मुक्केबाज मैरी कॉम और मॉरीशस के पूर्व प्रधानमंत्री अनिरूद्ध जगन्नाथ समेत सात हस्तियों को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को पद्म विभूषण से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई। जानिए इन शख्सियतों के बारे में

संजीव बिखचंदानी
देश की प्रमुख रोजगार वेबसाइट नौकरी डॉट कॉम के संस्थापक और वाइस चेयरमैन संजीव बिखचंदानी को शनिवार को पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की गई। बिखचंदानी की कंपनी जीवनसाथी डॉट कॉम, 99एकड़ डॉट कॉम और शिक्षा डॉट कॉम भी चलाती है। इसके अलावा उनकी कंपनी ने जोमेटो, पॉलिसी बाजार, शॉप किराना और उस्तरा जैसी स्टार्टअप कंपनियों में भी निवेश किया है। बिखचंदानी ने 1989 में आईआईएम अहमदाबाद से पढ़ाई की। अपनी कंपनी की शुरुआत उन्होंने एक गैरेज के ऊपर बने नौकरों के रहने के कमरे से की। इसके लिए शुरुआती पूंजी 2,000 रुपए लगाई। बाद में उनकी कंपनी को वैश्विक उद्यम पूंजीपतियों से पूंजी मिली। बिखचंदानी की कंपनी भारतीय शेयरबाजारों में सूचीबद्ध होने वाली देश की पहली इंटरनेट कंपनी है। वर्तमान में कंपनी 4,000 लोगों को रोजगार देती है और इसका बाजार मूल्यांकन साढ़े चार अरब डॉलर से अधिक है। बिखचंदानी ‘अशोक यूनिवर्सिटी' के संस्थापक न्यासी भी हैं।

बादशाह अनवर खान बहिया
राजस्थान में थार के लोकगीत, संगीत को देश विदेशों में नए आयाम देने वाले उस्ताद अनवर खान बहिया को भारत सरकार का प्रतिष्ठित पद्मश्री अवार्ड मिलने पर थार जिले में खुशी की लहर छा गई। अनवर क्षेत्र के जाने माने लोक गायक हैं। थार के लोकगीत संगीत को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने में अनवर खान बहिया की गायकी का अहम योगदान हैं। जैसलमेर जिले के छोटे से गांव बहिया में लोक गायक रोजड़ खान के घर जन्मे अनवर के दादा भी लोक गायक थे। लोकगीत संगीत अनवर खान को विरासत में मिली। अनवर खान ने बाड़मेर को अपना ठिकाना बना लिया। अनवर लोकगीत संगीत के साधक हैं। भारत के साथ साथ लगभग 55 देशों में अपनी गायकी का परचम लहरा चुके अनवर खान विख्यात संगीतकार ए.आर. रहमान की फिल्मों में भी गा चुके हैं, साथ ही कई हिन्दी फिल्मों में अपनी लोक गायकी का जलवा बिखेर चुके हैं। लोक गायकी के अलावा अनवर खान बेहतरीन सूफी गायक हैं। 

अब्दुल जब्बार
1984 भोपाल गैस त्रासदी कार्यकर्ता अब्दुल जब्बार का है जिन्हें मरणोपरांत पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। 14 नवंबर 2019 को उनका निधन हो गया था। अब्दुल जब्बार ने 1984 के भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों और बचे लोगों के लिए न्याय के लिए लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने गैस त्रासदी पीड़ितों के परिजनों और बचे लोगों के लिए मुआवजे की मांग करते हुए कई विरोध प्रदर्शन किए थे। जब्बार भोपाल गैस पीड़िता महिला उद्योग संगठन के संयोजक थे, जिन्होंने सबसे खतरनाक औद्योगिक त्रासदी पीड़ितों और उनके परिजनों को न्याय दिलाने के लिए सहजता से काम किया। एक लंबी बीमारी के बाद 14 नवंबर 2019 को उनका मध्य प्रदेश की राजधानी के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था। अंतिम दिनों में उन्हें 50 फीसदी तक दिखना बंद हो गया था और दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदा भोपाल गैस त्रासदी में फेफड़े से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ा था।

फिरोज खान
बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में नियुक्ति के बाद विरोध का सामना करने वाले प्रफेसर फिरोज खान के पिता और राजस्थान के प्रसिद्ध भजन गायक रमजान खान उर्फ मुन्ना मास्टर को केंद्र सरकार की ओर से पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। जयपुर के रहने वाले रमजान खान राजस्थान में भगवान कृष्ण और गाय पर भजनों की रचना करने और इनकी संगीतमय प्रस्तुति के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा रमजान खान की किताब श्री श्याम सुरभि वंदना को भी काफी लोकप्रियता मिल चुकी है। 

जगदीश लाल आहूजा 
पंजाब के रहने वाले चौरासी वर्षीय जगदीश लाल आहूजा को सामाजिक कार्य के लिए पद्मश्री सम्मानित किया जाएगा। इन्हें ‘लंगर बाबा’ के नाम से जाना जाता है। साल 1980 से ये लगातार गरीब लोगों को मुफ्त में भोजन मुहैया करा रहे हैं। साल 2000 से पीजीआई के बाहर गरीब बीमार व उनके तीमारदारों रोजाना करीब 2000 से ज्यादा लोगों को ये भोजन के साथ ही उन्हें वित्तीय मदद के साथ ही कपड़े आदि भी देते हैं हैं। आपका जन्म पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था, लेकिन विभाजन के चलते अपना सब कुछ वहीं छोड़कर खाली हाथ भारत आना पड़ा। लोगों की मदद को आपने जमीन-जायदाद बेच दी।

मोहम्मद शरीफ
मोहम्मद शरीफ को सामाजिक कार्य के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के रहने वाले 80 वर्षीय मो. शरीफ  फैजाबाद व उसके आसपास मिली लावारिस शवों का दाह-संस्कार करते हैं। पेशे से साइकिल मकैनिक मो.शरीफ पिछले 25 साल के दौरान पच्चीस हजार से ज्यादा लावारिस शवों का दाह संस्कार करा चुके हैं। इस दौरान वह इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि मृतक का आखिरी संस्कार उसके धर्म के अनुरूप हो। हिंदू शव का वो जहां दाह संस्कार करते हैं तो मुस्लिम शव को सुपुर्द ए-खाक की रस्म निभाते हैं।

जावेद अहमद टाक 
समाज सेवा के लिए पद्मश्री से सम्मानित होने वाले कश्मीर के अनंतनाग जिले के बिजबहाड़ा के  46 वर्षीय ‘अनंतनाग के अपने’ जावेद अहमद टाक 1997 में आतंकी गोली के चलते दिव्यांग हो गए और तब से व्हीलचेयर पर हैं। लेकिन उन्होंने अपनी दिव्यांगता को ही अपनी हिम्मत बना लिया। वे पिछले दो दशक से अपनी ह्यूमेनिटी वेलफेयर आर्गेनाइजेशन कश्मीर एवं जैबा आपा स्कूल के जरिए कश्मीर के विशेष बच्चों को मुख्य धारा में शामिल करने के लिए काम करते हैं। करीब 100 ऐसे विशेष बच्चों को वे निशुल्क शिक्षा व अन्य मदद दे रहे हैं। इसके साथ ही अनंतनाग और पुलवामा के 40 से अधिक गांवों के लिए बच्चों के लिए परियोजनाओं का कार्यान्वयन किया  

तुलसी गौडा
कर्नाटक की 72 वर्षीय तुलसी गौडा को सामाजिक कल्याण (पर्यावरण) के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। किसी औपचारिक शिक्षा के बावजूद आपको जंगल की वनस्पति का गहरा ज्ञान है। पिछड़ी जाति हलाक्की और गरीबी में जीवन बीतने के बावजूद आपने पिछले 60 सालों के दौरान हजारों की संख्या में पेड़ों लगाने के साथ ही उनकी देखरेख की। आज भी आप पेड़ों की देखभाल करती हैं और अगली पीढ़ी को वनस्पति ज्ञान जानकारी देती हैं। आपे वन विभाग में अस्थायी स्वयंसेवक के तौर पर जुड़ी, लेकिन पर्यावरण के प्रति आपके समर्पण को देखते हुए विभाग ने आपको सदस्य के  तौर पर स्थायी रोजगार की पेशकश की।

सत्यनारायण मुंदेयूर
केरल में जन्मे सत्यानायण मुंदेयूर (69 वर्ष) ने अपने गृहराज्य से हजारों किलोमीटर दूर अरुणाचल प्रदेश को अपनी कर्मभूमि बना लिया। आपने मुंबई में राजस्व अधिकारी की सरकारी नौकरी छोड़ 1979 में अरुणाचल के लोहित का रुख किया और यहीं के होकर रह गए। पिछले चार दशकों से आप अरुणाचल प्रदेश के सुदूर इलाकों में शिक्षा एवं पठन संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके लिए कई सुदूर इलाकों में 13 बंबूसा पुस्तकालय की स्थापना की, इनमें अमर चित्रकथा से लेकर रस्किन बॉन्ड जैसे लेखकों की दस हजार से ज्यादा पुस्तकें  हैं। आपने होम लाइब्रेरी मूवमेंट भी शुरू किया। इसमें स्वयंसेवकों के जरिये बच्चों को निशुल्क पुस्तकों का वितरण किया जाता है। आपने अरुणाचल की लोक विरासत के प्रचार के लिए बच्चों के लिए मलयालम में वहां के लोक विरासत से संबंधी पुस्तक का भी लेखन किया है।

योगी ऐरन 
देहरादून में हेल्पिंग हैंड नाम से एक अस्पताल चलाने वाले 81 वर्षीय योगी एरन ने अपनी जिंदगी के 35 वर्ष जलने वालों के उपचार और सेवा में लगा दिए। इनके अस्पताल में हर वर्ष करीब 500 मरीजों को मुफ्त इलाज दिया जाता है। इनकी विशेषता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि गंभीर रूप से जले हुए मरीजों को कई बार सरकारी अस्पताल से इनके हेल्पिंग हैंड में रेफर किया जाता है। उन्होंने लगातार 13 वर्ष तक लगातार सुदूर गांवों में 14-14 दिन के कैंप लगाए। योगी ऐरन खुद किराये के मकान में रहते हैं। 1983 में अमेरिका से लौटकर उन्होंने अपने घर के हॉल में एक डिस्पेंसरी से शुरूआत की थी।

पत्रकार योगेश प्रवीण
लखनऊ के इतिहासकार एवं पत्रकार योगेश प्रवीण और असम के इतिहासकार जोगेंद्र नाथ फूकन को भी पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। असम में हाथियों के चिकित्सक कुशल कंवर सरमा उन 21 गुमनाम नायकों में शामिल हैं जिन्हें इस साल पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। राजस्थान में स्वच्छता के क्षेत्र में काम करने वाली दलित सामाजिक कार्यकर्ता ऊषा चौमार को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। 

पोपटराव पवार
सूखाग्रस्त हिवरे बाजार में भूजल में सुधार करने के लिए अहमदनगर (महाराष्ट्र) के प्रख्यात पोपटराव पवार, गरीबों को किफायती शिक्षा देने में मदद करने वाले कर्नाटक के 64 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता हारेकला हाजब्बा, दूरस्थ सुंदरबन में मरीजों का उपचार करने वाले पश्चिम बंगाल के चिकित्सक अरुणोदय मंडल, केवल जैविक तकनीक के प्रयोग से ओडिशा में बंजर भूमि को वन क्षेत्र में तब्दील करने वाले गांधीवादी राधा मोहन एवं उनकी पुत्री साबरमती को भी पद्म श्री से नवाजा गया। 

हल्दी की खेती संबंधी मुहिम चलाने वाले मेघालय के आदिवासी किसान त्रिनिती साइऊ, असम की बराक घाटी में कैंसर मरीजों का उपचार करने वाले चेन्नई के चिकित्सक रवि कन्नन, तमिलनाडु में चार दशक से अधिक समय से 14,000 से अधिक दिव्यांग लोगों के पुनर्वास में मदद करने वाले दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता एस रामाकृष्णन को भी यह पुरस्कार दिया गया। 

इसके अलावा सरकार ने राजस्थान में 50,000 पौधे लगाने वाले 68 वर्षीय पर्यावरणविद् सुंदरम वर्मा, कृषि-जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में योगदान के लिए विश्वविख्यात आदिवासी महिला राहीबाई सोमा पोपेरे को भी पद्मश्री से पुरस्कृत किया है। 


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shukdev

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