1947 में पाकिस्तान समर्थित कबायलियों के हमले पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन
punjabkesari.in Thursday, Oct 22, 2020 - 02:14 PM (IST)
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में पहली बार '२२ अक्टूबर 1947 की स्मृति' विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। इसी दिन पाकिस्तान समर्थित कबायलियों ने कश्मीर पर आक्रमण किया था और हमले को नाकाम करने के लिए भारतीय सैनिकों को हवाई मार्ग से घाटी पहुंचाया गया था जिसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरु हुआ था। अधिकारियों ने बताया कि उम्मीद है कि केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, शिक्षाविद, सेना एवं वायुसेना के पूर्व अधिकारी और रक्षा विशेषज्ञों सहित कई गणमान्य व्यक्ति बृहस्पतिवार को शुरू होने वाले इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में अपने विचार साझा करेंगे। उन्होंने कहा कि यहां एसकेआईसीसी में जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के सहयोग से राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान कला इतिहास, संरक्षण एवं संग्रहालय विज्ञान द्वारा आयोजित की जा रही यह संगोष्ठी इस दिन के ऐतिहासिक विमर्श को सामने लाएगी।
एक अधिकारी ने कहा,'संगोष्ठी द्वारा प्रस्तावित विषय पर भविष्य की प्रदर्शनी / संग्रहालय के आकार और आकृति को रेखांकित करना प्रस्तावित है ... इस तरह की पहल का उद्देश्य इतिहास के इस चरण के बारे में लोगों में जागरूकता लाना होगा।' इस कार्यक्रम से यह स्मरण करने में मदद मिलेगी कि स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरंत बाद देश ने पहली लड़ाई कैसे लड़ी थी। अधिकारी ने कहा, 'दुनिया भर में संग्रहालय और प्रदर्शनियों को इस तरह के ऐतिहासिक आख्यानों को प्रदर्शित करने वाले स्थलों के रूप में स्वीकार किया जा रहा है।'
अधिकारी ने कहा कि एक संग्रहालय या एक प्रदर्शनी 22 अक्टूबर, 1947 के ऐतिहासिक कथा का दस्तावेजीकरण करने और जीवंत करने का एक मंच बनेगा। अधिकारी ने कहा, 'अक्रमणकारियों की हिंसा और अत्याचार को याद करना और इस चुनौती पर काबू पाने में दिखाई गई वीरता उन लोगों के लिए एक श्रद्धांजलि होगी जिन्होंने स्वतंत्र भारत की पहली लड़ाई में अपना जीवन न्योछावर किया था। यह प्रदर्शनी या स्मारक अपने तरह का पहला होगा।'
22 अक्टूबर, 1947 को, पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया था जिस दौरान बड़े पैमाने पर लूट और बर्बरता हुई थी। हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को निर्दयता से मार डाला गया था। 26 अक्टूबर, 1947 को तत्कालीन डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय के समझौते पर हस्ताक्षर किये थे जिसके बाद भारतीय सैनिकों को कबायली आक्रमणकारियों को पीछे धकेलने के लिए श्रीनगर पहुंचाया गया था।
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