‘हर घर तिरंगा’: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस बार तिरंगा और सिद्धू मूसेवाला की तस्वीर वाली पतंगों की धूम

punjabkesari.in Thursday, Aug 11, 2022 - 03:51 PM (IST)

नई दिल्ली: दो साल से कोविड महामारी के कारण फीके रहे पतंग बाज़ार की रौनक सरकार की ‘हर घर तिरंगा’ पहल के चलते लौट आई है और बाज़ार में ‘तिरंगा पतंग’ के साथ ही हाल में कत्ल कर दिए गए पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की तस्वीर वाली पतंग की ज़बर्दस्त मांग है।

देश के अलग अलग हिस्सों में स्वतंत्रता दिवस का जश्न पतंग उड़ाकर मनाने का अरसे से रिवाज रहा है। इसी के मद्देनजर हर साल 15 अगस्त से पहले पुरानी दिल्ली के लाल कुएं और उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद इलाके में एक अगस्त से 15 दिनों के लिए पतंग बाज़ार सजता है।

मुरादाबाद, मेरठ, बरेली, अलीगढ़, जयपुर समेत अन्य शहरों से आए दुकानदार 15 दिन के लिए मोटा किराया देकर इन इलाकों में पतंगों की दुकानें खोलते हैं, मगर बीते दो साल से कोविड महामारी के चलते इन बाजारों की रौनक फीकी थी और दुकानें भी कम लगी थीं। हालांकि इस बार बाजार में पहले जैसी रौनक लौट आई है और दुकानें भी अधिक संख्या में सजी हैं। दुकानदार उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार उनकी बिक्री भी पहले जैसी ही होगी।

इस साल देश को आज़ाद हुए 75 साल पूरे हो रहे हैं। इसके मद्देनजर सरकार ने ‘हर घर तिरंगा’ पहल की शुरुआत की है जिसके बाद बाजार में ‘तिरंगा पतंगों’ की खासी मांग है। वहीं, मई में कत्ल कर दिए गए पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की तस्वीर वाली पतंगें भी खूब बिक रही हैं ।

इसके अलावा बाजार में फिल्मों, अभिनेताओं, कार्टून आदि की तस्वीर वाली पतंगों की भी खूब मांग है। लोग स्वतंत्रता दिवस पर एक दूसरे की पतंग को काटने के लिए कपास का बेहतरीन मांझा भी खरीद रहे हैं जो 100 रुपये से लेकर 600 रुपये तक के दामों में मिल रहा है।

लाल कुएं में करीब 40 साल पुरानी पतंगों की दुकान ‘बिशनचंद एंड सन्स’ के मालिक हिमांशु ने  बताया कि इस बार कोविड संबंधी पाबंदियां नहीं हैं और उम्मीद है कि व्यापार अच्छा होगा।

करीब तीन पीढ़ियों से यह व्यापार कर रहे हिमांशु ने कहा कि इस बार लोग आ रहे हैं लेकिन उनकी संख्या पहले की तुलना में कम है, लेकिन “हमें उम्मीद है कि जैसे जैसे 15 अगस्त करीब आएगा, वैसे वैसे खरीदारों की संख्या बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इस बार पारंपरिक पतंगों के अलावा ‘तिरंगा पतंग’ की मांग ज्यादा है। शायद इसकी वजह सरकार की हर घर तिरंगा पहल है।

वहीं राजस्थान के जयपुर से खासतौर पर पतंग की दुकान लगाने आए इरफान ने भी हिमांशु की बात से सहमति जताते हुए कहा कि इस बार ‘तिरंगा पतंग’ बहुत बिक रही है। उन्होंने कहा कि तिरंगा पतंग पर ‘वंदे मातरम’ लिखा हुआ है जो ज्यादा बिक रही है। उन्होंने बताया कि इसी के साथ सिद्धू मूसेवाला की तस्वीर वाली पतंग की भी मांग है।

इरफान के मुताबिक, उनकी दुकान में डोरेमोन, स्पाइडरमेन, मिकीमाउस, ऋतिक रोशन, सलमान खान और टाइगर श्रॉफ तथा ‘कृष’, ‘आरआरआर’ और ‘पुष्पा’ जैसी फिल्मों के पोस्टर की पतंगें उपलब्ध हैं।

उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में ‘दिल्ली फैशन क्लब’ नाम से हर साल पतंग की दुकान लगाने वाले माजिद बताते हैं कि ‘हर घर तिरंगा’ पहल की वजह से रोज़ाना तिरंगे की करीब 500-600 पतंगे बिक रही हैं और बाज़ार में इन पतंगों की कमी हो रही है जबकि बीते सालों में ‘तिरंगा पतंग’ की इतनी मांग नहीं होती थी।

इसी इलाके में जयपुर से दुकान लगाने आए मोहसिन ने बताया कि दिवंगत पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की तस्वीर वाली पतंग रामपुर से बनकर आ रही है और इसकी इतनी मांग है कि यह बाजार से गायब हो गई है।

लाल कुएं में दुकानदार बबलू ने बताया कि उनकी दुकान पर चीन से आयात की हुई तिकोनी पतंग है जो वाटरप्रूफ कपड़े से बनी है और इसकी कीमत 25 रुपये से शुरू होती है और अधिकतम 100 रुपये तक जाती है।

लाल कुएं में पतंग खरीददार रईस ने बताया कि कार्टून और कलाकारों की तस्वीरों वाली पतंगें ज्यादातर पिन्नी की होती हैं जो लोग शौकिया तौर पर लेकर जाते हैं, मगर ज्यादातर लोग कागज़ की पतंग ही पसंद करते हैं। उन्होंने बताया कि इनमें आखर दारा, पट्टी दारा और सितारा दारा प्रमुख रूप से खरीदी जाती हैं, क्योंकि यह आसमान में जाने पर भारी हो जाती हैं और भारी पतंग आसानी से कटती नहीं है।


बबलू के मुताबिक, कागज़ की पतंगों की कीमत तीन रुपये से शुरू होती है और 12-15 रुपये तक जाती है जबकि कपास के मांझे की एक रील की चरखी जिसमें करीब एक हजार मीटर डोर होती है, वह करीब 100 रुपये में मिल जाती है।


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Content Writer

Anu Malhotra

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