जमानत के लिए उमर खालिद की राह आसान नहीं, दिल्ली दंगों में क्या थी भूमिका?

punjabkesari.in Tuesday, Sep 15, 2020 - 12:45 PM (IST)

नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): 31 जुलाई की पूछताछ के बाद जब स्पेशल सेल ने दोबारा से उमर खालिद की कॉल डिटेल सहित उनके सोशल प्लेटफार्म की जांच की तो पता चला कि नार्थ ईस्ट दंगों की शुरुआत पिंजरा तोड़ के साथ उमर खालिद ने की थी। सेल के दावे के मुताबिक जाफराबाद मेट्रो स्टेशन में महिलाओं का धरना समेत कई उग्र भाषण के कई वीडियो खालिद के प्लेटफार्म से भेजे गए थे, जिससे दंगा भड़का था। इस संबध में दिल्ली के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि  दंगों में इस्तेमाल हथियारों को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से मंगवाया गया था और खालिद ने पूछताछ में कबूला है कि दंगा करवाने के लिए 5 देसी कट्टे मेरठ से खरीदे गए थे, जिनको 25 हजार रुपए में खरीदा गया था।

 आरोपी ने बताया कि हथियार खरीदने के लिए ये पैसे कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां ने उसे दिए थे, जिसके बाद ये हथियार मेरठ से लाए गए थे। उमर खालिद के पिता स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया के सदस्य और वेलफेयर पार्टी ऑफ  इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं।  दिल्ली यूनिवर्सिटी से बैचलर्स डिग्री लेने के बाद उमर खालिद ने जेएनयू में दाखिला लिया था। जेएनयू से पीएचडी करने वाले उमर खालिद ने 2016 में पहली बार तब सुर्खियां में आया, जब जेएनयू में संसद हमले के दोषी अफ जल गुरु की फांसी के खिलाफ कथित तौर पर एक कार्यक्रम हुआ। इसी के बाद खालिद समेत तब जेएनयूएसयू के अध्यक्ष कन्हैया कुमार और 7 अन्य स्टूडेंट्स के खिलाफ  राष्ट्रद्रोह का केस दर्ज किया गया। यह भी आरोप लगे कि कार्यक्रम के दौरान भारत विरोधी नारे लगाए गए। दिल्ली पुलिस ने जब कन्हैया को अरेस्ट किया, उसके बाद खालिद लापता हो गया। कुछ दिन बाद वह टीवी चैनल्स पर दिखा। 23 फरवरी को कैंपस में दिखने पर उन्हें अरेस्ट कर लिया गया था, लेकिन बाद में जमानत दे दी गई। इसके बाद उमर खालिद ने कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधा निशाना साधा। 


2018 में भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा से जुड़ी एक एफआईआर में उमर खालिद का भी नाम था। खालिद पर अपने भाषण के जरिए दो समुदायों में नफरत फैलाने का आरोप लगा था। उसी साल अगस्त में उमर खालिद कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में हमला हुआ, जिसमें वह बाल-बाल बचा था। यूएपीए के तहत स्पेशल सेल अभी तक 11 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिनमें पिंजरा तोड़ की तीन सदस्य नताशा, गुल फिशा और देवांगना भी शामिल हैं। गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम संशोधन विधेयक 2019 (यूएपीए)  बेहद सख्त कानून है। इस कानून को संसद द्वारा 1967 में पारित किया गया था और उसके बाद इसमें कई संशोधन हो चुके हैं। इस कड़ी में पिछले साल यानी 2019 में भी इसमें संशोधन किया गया, इसके बाद संस्थाओं ही नहीं, बल्कि अब व्यक्तियों को भी आतंकी घोषित किया जा सकता है। इतना ही नहीं, किसी पर शक होने से ही उसे आतंकी घोषित किया जा सकता है। अब तक सिर्फ  संगठनों को ही आतंकी संगठन घोषित किया जा सकता था। संशोधन के बाद गिरफ्तार व्यक्ति का किसी आतंकी संगठन से संबंध दिखाना भी जरूरी नहीं है। इसमें आतंकी का आरोप हटवाने के लिए अदालत के बजाय सरकार की बनाई रिव्यू कमेटी के पास जाना होगा, हालांकि इसके बाद अदालत का रुख किया जा सकता है।


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Anil dev

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