जम्मू-कश्मीर के बाहर के लोगों को यहां जमीन के मालिकाना हक देना स्वीकार नहीं: उमर अब्दुल्ला

punjabkesari.in Tuesday, Oct 27, 2020 - 08:54 PM (IST)

श्रीनगरः जम्मू कश्मीर में गुपकर घोषणा को लागू करने के लिए बने अनेक राजनीतिक दलों के ‘‘गुपकर घोषणापत्र गठबंधन'' ने मंगलवार को भूमि संबंधी कानूनों में संशोधनों की निंदा की जिनमें बाहरी लोगों को केंद्रशासित प्रदेश में जमीन खरीदने की अनुमति देने का प्रावधान है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) समेत जम्मू कश्मीर के अनेक मुख्यधारा के राजनीतिक दलों ने इस विषय पर हर मोर्चे पर लड़ने का संकल्प व्यक्त किया। जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने भी जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने पर अपनी पार्टी का रुख दोहराया।

केंद्र सरकार ने एक राजपत्रित अधिसूचना में जम्मू कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 से ‘राज्य का स्थायी नागरिक' वाक्यांश हटा लिया है। यह धारा केंद्रशासित प्रदेश में जमीन के निस्तारण से संबंधित है और नया संशोधन बाहर के लोगों को जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में जमीन खरीदने का अधिकार देने का मार्ग प्रशस्त करता है। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि केंद्र सरकार के नये कदम से ‘जम्मू कश्मीर को बिक्री' के लिए रख दिया गया है।

पार्टी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लिए अधिसूचित नये भूमि कानूनों की आलोचना की और कहा कि नया जम्मू कश्मीर विकास अधिनियम जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख के लोगों के हितों के प्रतिकूल है। उन्होंने कहा कि इन नये कानूनों के साथ मूल निवास प्रमाणपत्र की प्रतीकात्मकता को समाप्त कर दिया गया है और गैर-कृषि भूमि की खरीद को और आसान बना दिया गया है। अब्दुल्ला ने कहा कि ये नये कानून जम्मू कश्मीर और लद्दाख की जनता के लिए अस्वीकार्य हैं।

उन्होंने भाजपा पर अवसरवादी राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि ‘‘संशोधित भूमि नियमों की अधिसूचना जारी करने से भाजपा की सस्ती राजनीति की बू आती'' है। गुपकर घोषणा के लिए बने पीपल्स अलायंस (पीएजीडी) के प्रवक्ता सज्जाद लोन ने नये कानूनों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘संशोधन से जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के मूल निवासियों के असंवैधानिक रूप से दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित राज्य में अचल संपत्ति खरीदने और रखने के विशेष अधिकारों को छीन लिया गया है और राज्य से बाहर के लोगों को ये अधिकार प्रदान किये गये हैं।''

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश को ‘बड़ा विश्वासघात' करार देते हुए लोन ने कहा, ‘‘यह जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की जनता के अधिकारों पर बड़ा हमला है तथा पूरी तरह असंवैधानिक है। गठबंधन ने जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के विरोधी कदमों का सभी मोर्चों पर मुकाबला करने का संकल्प लिया है।'' पीएडीजी में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, माकपा, भाकपा, पीपल्स कॉन्फ्रेंस, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपल्स मूवमेंट पार्टियां शामिल हैं।

माकपा नेता एम वाई तारिगामी ने कहा कि यह जम्मू कश्मीर की जनता को और अशक्त बनाने तथा उनकी जमीन को कंपनियों के लिए बेचने की सोच है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एकीकरण, विकास और सुरक्षा के नाम पर जमीनों की दिनदहाड़े लूट है।'' पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह जम्मू कश्मीर की जनता को अधिकारों से वंचित करने का एक और कदम है। जेकेएपी के अध्यक्ष बुखारी ने एक अलग बयान में कहा कि उनकी पार्टी जम्मू कश्मीर में भूमि अधिकारों के संबंध में राजपत्रित अधिसूचना का अध्ययन करेगी और देश के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष अपनी आपत्तियां दर्ज कराएगी।

 


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Yaspal

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