नेपाल में चीन के ''चाणक्‍य'' फेल ! ओली से डील को तैयार नहीं प्रचंड, बोले- '' खल रही भारत की चुप्पी''

punjabkesari.in Wednesday, Dec 30, 2020 - 12:12 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः नेपाल में राजनीतिक भूचाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रधानमंत्री  केपी शर्मा ओली और पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। उधर,  नेपाल में समीकरण बदलते देख चीन की नींद उड़ी हुई है और नेपाल को हाथ से फिसलता देख आनन-फानन में काठमांडू के दौरे पर आए चीन के 'चाणक्‍य'  कम्युनिस्ट पार्टी के उपमंत्री गुओ येझु की कोशिशें फेल होती दिख रही हैं। नेपाल में डेरा डाले चीनी मंत्री और उनकी 'चाणक्‍य फौज' ने ओली के विरोधी पुष्‍प कमल दहल, माधव कुमार नेपाल और झालानाथ खनल को प्रधानमंत्री से दोबारा हाथ मिलाने के लिए कहा लेकिन इन तीनों ही नेताओं ने दो टूक कह दिया कि अब समझौता असंभव है।

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चीनी पक्ष को हर पक्ष से मिली न
 काठमांडू पोस्‍ट की रिपोर्ट  के मुताबिक ओली के साथ मुलाकात के दौरान चीनी पक्ष ने उनके संसद को भंग करने के फैसले पर नाखुशी जताई। इस पर ओली ने चीनी पक्ष से कहा कि इस संकट के लिए वह जिम्‍मेदार नहीं हैं। ओली ने कहा कि उनकी नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी से उन्‍हें समर्थन नहीं मिला, इसकी वजह से उन्‍हें यह कदम मजबूरी में उठाना पड़ा। इसके बाद चीनी पक्ष ने ओली के विरोधी खेमे के नेता प्रचंड, झालानाथ खनल और माधव कुमार नेपाल से मुलाकात की।

 

चीन को सता रही चिंता
चीन के चाणक्‍य ने तीनों नेताओं से कहा कि वे ओली के साथ फिर से हाथ मिला लें। इस पर ओली विरोधी नेताओं ने कहा कि स्थिति अब ऐसी जगह पर पहुंच गई है जिसे ठीक नहीं किया जा सकता है। चीन को इस बात को लेकर भी चिंता है कि नेपाल में ताजा राजनीतिक संकट से काठमांडू-पेइचिंग के बीच 'रणनीतिक भागीदारी' का चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग का सपना व्‍यर्थ साबित हो सकता है। चीन इस बात से नाराज है कि नेपाली नेताओं ने उससे वादा किया और अब पीछे हट रहे हैं।

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 नेपाल का आरोप- चीन के मंत्री बिना बुलाए ही आ गए
हालंकि चीनी विदेश मंत्रालय ने नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के परस्पर विरोधी गुटों से सोमवार को यह भी अनुरोध किया कि वे अपने विवाद को समुचित तरीके से संभालें और राजनीतिक स्थिरता का प्रयास करें।  चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने कहा कि चीन ने 'नेपाल की राजनीतिक स्थिति के घटनाक्रम' को संज्ञान में लिया है। झाओ ने कहा, 'एक मित्र और करीबी पड़ोसी होने के नाते हम यह उम्मीद करते हैं कि नेपाल में सभी पक्ष राष्ट्रीय हित और संपूर्ण परिदृश्य को ध्यान में रखेंगे और आंतरिक विवाद को समुचित तरीके से सुलझाएंगे तथा राजनीतिक स्थिरता और राष्ट्रीय विकास को हासिल करने का प्रयास करेंगे।'   उधर नेपाल के विदेश मंत्रालय ने चीन के हस्‍तक्षेप पर कोई भी टिप्‍पणी करने से इनकार कर दिया है। उसका कहना है कि चीन के मंत्री बिना बुलाए ही नेपाल आए हैं और उसे उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है।

 

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नेपाल  को खल रही भारत की चुप्पी 
दूसरी तरफ प्रचंड ने भारत से मदद की उम्मीद जताई है। प्रचंड का कहना है कि नेपाल में जारी सियासी संकट पर भारत का चुप रहना ठीक नहीं है। इसके अलावा प्रचंड ने लोकतंत्र के समर्थन करने वाले अन्य देशों से भी मदद का अनुरोध किया है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि भारत हमेशा ही नेपाल में लोकतांत्रिक आंदोलन का समर्थन करते आया है। नेपाल में हुए सभी जन आंदोलनों में भी भारत की भूमिका रही है, लेकिन नेपाल इस वक्त जिस सियासी संकट से गुजर रहा है उसमें भारत का चुप रहना अस्वाभाविक लग रहा है। प्रचंड ने इस मसले पर भारत के अलावा अमेरिका व यूरोप जैसे देशों की चुप्पी को लेकर भी सवाल उठाए।

 

पड़ोसी के तौर पर जारी रहेगा नेपाल का समर्थनः भारत
हाल ही में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि नेपाल में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम पर हमने ध्यान दिया है। यह नेपाल की अपनी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के अनुसार आंतरिक मामला है।  हालांकि एक पड़ोसी के रूप में भारत शांति, समृद्धि और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने में नेपाल और उसके लोगों का समर्थन जारी रखेगा।'

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चीन के 'चाणक्‍य' ने वर्ष 2018 में प्रचंड-ओली में कराई थी एकता
सूत्रों के अनुसार, चीन एनसीपी में फूट से बेहद नाखुश है। चीनी मंत्री गुओ सत्तारूढ़ दल के दोनों गुटों के बीच मतभेद दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। इनमें एक गुट का नेतृत्व ओली कर रहे हैं जबकि दूसरे गुट का नेतृत्व प्रचंड कर रहे हैं। इससे पहले गुओ ने फरवरी 2018 में काठमांडू की यात्रा की थी। उन्‍होंने ओली और प्रचंड के दलों के बीच विलय कराकर नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के गठन में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई थी। चीनी मंत्री के साथ इस बार अधिकारियों की पूरी 'फौज' आई। बताया जा रहा कि मंत्री के अलावा 11 अन्‍य चीनी अधिकारी ओली सरकार पर दबाव डालने के लिए नेपाल पहुंचे हैं।


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Tanuja

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