ऑफ द रिकॉर्डः जब अलग-थलग पड़े आहलूवालिया
punjabkesari.in Wednesday, Nov 27, 2019 - 04:24 AM (IST)
नेशनल डेस्कः करतारपुर गलियारे की ओपनिंग कई नेताओं के मुंह का स्वाद खराबकर गई, दरअसल जब करतारपुर साहिब गलियारे के उद्घाटन समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हाथ न मिलाने की वीडियो वायरल हुई उस समय केवल पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने ही असहज महसूस नहीं किया बल्कि कुछ और लोगों के साथ भी ऐसा हुआ। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह से ज्यादा भाजपा के अपने और एकमात्र ‘पूर्ण सिख’ एस.एस. आहलूवालिया को समारोह में नीचा दिखाया गया।
आहलूवालिया का नाम गुरु नानक देव जी के शताब्दी समारोहों को मनाने के लिए बनी कमेटी की सूची में शामिल है। आहलूवालिया लोकसभा में भाजपा के एकमात्र सिख सदस्य हैं और मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में मंत्री रहे हैं। वह लम्बे समय तक गुरुद्वारा पटना साहिब के अध्यक्ष भी रहे हैं लेकिन उन्हें समारोह के दौरान मंच पर भी नहीं बुलाया गया। यहां तक कि भाजपा के एक अन्य सांसद सन्नी देओल को भी मंच पर नहीं बुलाया गया।
आहलूवालिया का नाम करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं के पहले जत्थे में भी शामिल नहीं किया गया। सरकार ने सबको राजनीतिक क्लीयरैंस दे दी लेकिन आहलूवालिया को इस सूची में शामिल नहीं किया गया। यह काफी आश्चर्यजनक था कि लोकसभा सदस्य होने तथा पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व करने के बावजूद उन्हें इस प्रकार नजरअंदाज किया गया।
हालांकि वह अमृतसर से लोकसभा की टिकट चाहते थे लेकिन पार्टी ने उन्हें वहां से चुनाव में उतारना उचित नहीं समझा। उनकी बजाय हरदीप सिंह पुरी को वहां से चुनाव लड़ाया गया जो कि इसके लिए इच्छुक नहीं थे लेकिन प्रधानमंत्री और अमित शाह चाहते थे कि वह वहां से चुनाव लड़ें। पुरी यहां से चुनाव हार गए। इसके बावजूद उन्हें 3 विभाग देकर केन्द्र में मंत्री बनाया गया। अब आहलूवालिया किसी तरह से खुद को समझा रहे हैं।
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