ऑफ द रिकॉर्डः मुस्लिम विरोधी रुख पर भाजपा में दरार ?
punjabkesari.in Friday, Jan 24, 2020 - 06:35 AM (IST)
नेशनल डेस्कः यह ठीक है कि भाजपा नागरिकता संशोधन कानून (सी.ए.ए.) के समर्थन में मजबूती से अपना पक्ष रख रही है और पार्टी नेतृत्व भी इस मामले में सख्त है लेकिन जब पार्टी के मुस्लिम नेताओं की बारी आती है तो वे काफी ङ्क्षचतित नजर आते हैं। बेशक अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी सामूहिक नेतृत्व सिद्धांत के चलते सी.ए.ए. का बचाव कर रहे हैं। 2014 में लोकसभा का चुनाव हारने वाले तथा 2019 में टिकट से वंचित रहे शाहनवाज हुसैन भी सी.ए.ए. के समर्थन में बोल रहे हैं।
पार्टी के कुछ मुस्लिम नेता यह नहीं समझ पा रहे हैं कि क्या किया जाए क्योंकि सी.ए.ए. ने उनके अपने अस्तित्व को ही दाव पर लगा दिया है। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली भाषा पार्टी के पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष दिलीप घोष बोल रहे हैं। इस प्रकार भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई में अल्पसंख्यक समुदाय तथा बंगाल के बुद्धिजीवी वर्ग के खिलाफ पार्टी के विरोधी रुख पर भाजपा में दरार पडऩे लगी है। पश्चिम बंगाल इकाई में उदारवादी नेताओं का मानना है कि दिलीप घोष द्वारा मुसलमानों और बुद्धिजीवी वर्ग के खिलाफ जहर उगलने से 2021 में इस प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा की संभावनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
हालांकि भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने घोष के उस बयान पर उन्हें सावधान किया था जिसमें घोष ने कहा था कि यू.पी. और कर्नाटक में सार्वजनिक सम्पत्ति को नुक्सान पहुंचाने वालों को ‘कुत्तों की तरह मारा गया’। इसके बावजूद घोष पर कोई असर नहीं पड़ा है और वह कह रहे हैं, ‘‘मैंने जो कुछ कहा है वैसा नहीं कहने के लिए मुझे कोई निर्देश नहीं मिला है।’’
उनका तर्क यह है कि ममता बनर्जी ऐसी ही भाषा समझती हैं और उनकी ‘कुत्तों की तरह मारा’ टिप्पणी 50 लाख मुस्लिम घुसपैठियों में डर पैदा करेगी जिनकी पहचान करने और उन्हें देश से भगाने की जरूरत है। कट्टरवादियों का मानना है कि हिन्दुत्व पर कड़े रुख के कारण 2019 के आम चुनावों में भाजपा को 40 प्रतिशत वोट शेयर मिला इसलिए इस रुख को बरकरार रखने की जरूरत है लेकिन भाजपा में मुस्लिम असहज महसूस कर रहे हैं और यदि कोई कदम नहीं उठाया गया तो वे हाथ से फिसल सकते हैं।