ऑफ द रिकॉर्डः सरकार ने N-95 मास्क की कीमत से झाड़ा पल्ला

punjabkesari.in Thursday, Jul 23, 2020 - 02:21 PM (IST)

नेशनल डेस्कः कोरोना वायरस से बचाव के अहम हथियार मास्क की कीमतों को लेकर घमासान मचा हुआ है, ग्राहकों से मनमानी कीमतें वसूली जा रही हैं। महाराष्ट्र सरकार कीमतों पर अंकुश लगाने जा रही है लेकिन केंद्र सरकार ने मास्क को आवश्यक वस्तुओं की सूची से ही हटा दिया। मास्क की कीमतों पर नियंत्रण का दावा करने वाली नैशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एन.पी.पी.ए.) का रवैया भी पूरी तरह टालमटोल वाला है। 
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उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना नंदन ने कहा कि फेस मास्क और हैंड सैनिटाइटर अब आवश्यक उत्पाद नहीं हैं क्योंकि उनकी आपूर्ति देश में पर्याप्त है इसलिए अब उन्हें आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के दायरे से बाहर किया गया है, वहीं मास्क विक्रे ता एन95 मास्क के लिए ग्राहकों से 100 से 300 रुपए अधिक तक वसूल रहे हैं लेकिन सरकार ने कीमत से पल्ला झाड़ लिया। 
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मास्क की कीमतों में बेतहाशा बढ़ौतरी के बाद दवाओं और सर्जिकल उपकरणों की कीमतों पर नियंत्रण करने वाले रसायन मंत्रालय के तहत काम करने वाले एन.पी.पी.ए. की ओर से मास्क उत्पादकों को इसे काबू में रखने के निर्देश दिए गए और उसके बाद दावा किया कि कीमतें 67 प्रतिशत तक कम कर ली गईं। हालांकि एन.पी.पी.ए. ने 26 जून को विभिन्न मास्क की जो कीमतें सार्वजनिक कीं उनमें से ज्यादातर के वास्तविक दाम सरकारी दावे से कहीं अधिक थे। 
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मुम्बई की वीनस कंपनी के जिस 4200 एन95 मास्क की कीमत एन.पी.पी.ए. द्वारा 125 रुपए बताई गई, उसके लिए ई-कॉमर्स वैबसाइट अमेजॉन पर 300 रुपए से अधिक वसूले जा रहे हैं,वहीं एन.पी.पी.ए. के अनुसार, मेगनम कंपनी का जो मास्क 135 रुपए का होना चाहिए था उसके लिए ग्राहकों से 230 रुपए वसूले जा रहे हैं। इसी तरह अहमदाबाद की जैड प्लस डिस्पोजेबल की वैबसाइट पर 65 रुपए वाले मास्क की कीमत 100 रुपए बताई गई है। एन.पी.पी.ए. के अध्यक्ष से लेकर उपनिदेशक तक के अधिकारी ने मामले से पल्ला झाड़ लिया। 
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एन.पी.पी.ए. की हैल्पलाइन पर भी भ्रामक जानकारी दी गई, कहा गया कि सरकारी कंपनियों के अतिरिक्त दूसरी सभी कंपनियों द्वारा जाली एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं। मास्क की कीमतों पर नियंत्रण के लिए जारी किए गए निर्देश के हवाले से सवाल किया गया तो कहा गया कि सरकारी और गैर-सरकारी खरीद की कीमतों में अंतर के चलते ये निर्देश जारी किए गए थे। कानून के तहत आवश्यक वस्तु की श्रेणी में आने वाली वस्तुओं की कीमत में एक साल में 10 प्रतिशत से अधिक की बढ़ौतरी नहीं की जा सकती। 


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Pardeep

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