गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा होंगे NSG कमांडो, CRPF की झांकी भी होगी शामिल

punjabkesari.in Thursday, Jan 07, 2021 - 07:49 PM (IST)

नेशनल डेस्क: राष्ट्रीय राजधानी में इस बार गणतंत्र दिवस परेड में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के ‘ब्लैक कैट' कमांडो के एक दस्ते के साथ ही देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ की झांकी भी नजर आएगी। आधिकारिक सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के कारण इस बार सीमित तरीके से आयोजित होने वाली 26 जनवरी की परेड में दिल्ली पुलिस और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के मार्चिंग और बैंड दस्तों के साथ ही सीमा सुरक्षा बल का ख्याति प्राप्त ऊंट सवार दस्ता भी नजर आएगा।

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एनएसजी कमांडो इन साजों सामान के साथ आएंगे नजर
सूत्रों ने कहा कि 2017 में पहली बार राजपथ पर परेड में शामिल एनएसजी कमांडो इस बार फिर वापसी कर रहे हैं। अपनी काली पोशाक की वजह से ‘ब्लैक कैट' कहे जाने वाले कमांडो एमपी-5 राइफल, कटार, रात में देखने में सक्षम चश्मों, बुलेट-प्रूफ जैकेट, अपहरण रोधी वैन ‘शेरपा' समेत अपने अत्याधुनिक हथियार व साजोसामान के साथ नजर आएंगे। इस विशेष बल का गठन 1984 में देश भर में आतंकरोधी, अपहरण रोधी और बंधक मुक्ति अभियानों के लिये संघीय इकाई के तौर पर किया गया था। एनएसजी हर साल गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राजपथ और उसके आसपास के इलाकों में “तात्कालिक बैकअप सहायता” के तहत सुरक्षा भी उपलब्ध कराता है।

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CRPF झांकी राजपथ पर नजर आएगी
सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की झांकी में नक्सल विरोधी अभियान, जम्मू कश्मीर में अभियान और पूर्वोत्तर में उग्रवाद विरोधी अभियान के साथ ही वार्षिक अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा उपलब्ध कराने जैसी कानून-व्यवस्था संबंधी उसकी विभिन्न भूमिकाओं को प्रदर्शित किया जाएगा। करीब 3.25 लाख कर्मियों वाले इस बल का देश में आंतरिक सुरक्षा बल के तौर पर विशिष्ट स्थान है और यह पहला मौका है जब परेड में बल की झांकी राजपथ पर नजर आएगी। सूत्रों ने कहा कि सीमाओं की सुरक्षा में तैनात बीएसएफ का ऊंट सवार बैंड दस्ता परेड के दौरान अपनी रंगारंग वेशभूषा और सजेधजे ऊंटों के साथ राजपथ पर अपनी सुर-लहरियां बिखेरता हुआ गुजरेगा।

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1976 में बना था गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा
‘रेगिस्तान के जहाज' का यह दस्ता सबसे पहले 1976 में गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बना था। उससे पहले 1950 से सेना का ऐसा ही दस्ता परेड में शामिल होता था। बीएसएफ के इस दस्ते ने सेना की जगह ली। उन्होंने कहा कि चीन के साथ लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की निगरानी की जिम्मेदारी संभालने वाले आईटीबीपी का मार्चिंग और बैंड दस्ता एक के बाद परेड में गुजरेगा। सूत्रों के मुताबिक इस बार कोविड-19 संबंधी दिशानिर्देशों के कारण परेड की अवधि तथा दर्शकों की संख्या में कमी की गई है।

 


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rajesh kumar

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