अब गर्भ में ही शिशुओं को मिलेगा संस्कार, जानिए क्या होता है गर्भ संस्कार
punjabkesari.in Thursday, Jan 02, 2020 - 09:40 AM (IST)
नेशनल डेस्क: अयोध्या में सदियों पुरानी उस विधा को एक बार फिर जीवंत करने की कोशिश हो रही है, जिसे अब तक हम धार्मिक ग्रंथों अथवा इतिहास के पन्नों में ही पढ़ा करते थे। दावा है कि अगर यह प्रयोग सफल हो गया तो हम बच्चे को गर्भ में ही संस्कार के साथ शिक्षा भी दे सकेंगे। यह प्रयोग अयोध्या के राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय में शुरू किया गया है। इसके पाठ्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। 3 माह और 6 माह के इस पाठ्यक्रम का नाम ‘गर्भ संस्कार’ रखा गया है।
दंपतियों को मिलेगी शिक्षा
राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय द्वारा दावा किया जा रहा है कि इस पाठ्यक्रम में दंपतियों को उसी विधा से शिक्षित किया जाएगा, जो विधि सदियों पहले धार्मिक ग्रंथों में बताई गई है।
क्या है गर्भ संस्कार?
पाठ्यक्रम में दावा किया जा रहा है कि गर्भ संस्कार में गर्भ धारण करते समय अनुकूल वातावरण, मनोस्थिति, समय, भोजन, स्थान और आसपास के माहौल ही नहीं बल्कि उस समय धारण करने वाले वस्त्र तक के बारे में भी शिक्षा दी जाएगी। इसके बाद गर्भ धारण करने के बाद किस आचरण और व्यवहार का बालक या बालिका चाहिए उसके अनुसार आचरण की शिक्षा दी जाएगी।
उदाहरण के तौर पर धार्मिक बालक-बालिका की चाह रखने वाले दंपति को धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना चाहिए। गर्भ धारण करने वाली मां जहां रह रही हो, वहां आसपास देवी-देवताओं की फोटो लगी होनी चाहिए और भक्ति संगीत गुंजायमान होते रहना चाहिए। इसी के साथ मां और पिता सौम्यता और सहज व्यवहार करें और बाहरी वातावरण से दूर रहें। इसी तरह दावा यह है कि अगर वैज्ञानिक बच्चे की कामना हो तो मां को गर्भ धारण करने के बाद वैज्ञानिक माहौल में रहना चाहिए। विज्ञान से जुड़े विषयों को पढऩा चाहिए। आसपास वैज्ञानिकों की फोटो लगानी चाहिए और उनके आविष्कार के बारे में सोचना चाहिए। जहां वैज्ञानिक गतिविधि हो रही हो उसे जाकर देखना चाहिए।
साथ ही युद्ध कला में बहादुर बच्चे की चाह रखने वाली मां को वीर रस से जुड़ी साहित्य, कथाएं और साहित्य पढऩा चाहिए। युद्ध कला के दृश्य देखने चाहिएं और युद्ध के देवी-देवताओं और महापुरुष के चित्र आसपास की दीवारों पर लगाना चाहिए। यही नहीं गर्भधान करते समय भी उसी तरह के अनुकूल माहौल, वस्त्र और वातावरण का ध्यान रखना आवश्यक होगा।