त्रिपुरा में प्रवासी पक्षियों की मौत पर सरकार को नोटिस

punjabkesari.in Wednesday, Feb 02, 2022 - 03:30 PM (IST)

नेशनल डेस्क: त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने गोमती जिले में सुख सागर झील के निकट खिलपारा में पिछले सप्ताह कई सौ पर्पल मूरहेन (प्रवासी पक्षी) की अचानक हुई मौत की जांच के लिए राज्य सरकार को सात दिन का नोटिस दिया है। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति एस जी चट्टोपाध्याय की खंडपीठ ने मंगलवार को एक वकील कौशिक नाथ द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई की और राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक डी के शर्मा को पक्षियों की मौत की वजह का पता लगाने के लिए जांच कराकर एक सप्ताह के भीतर विस्तृत विवरण पेश करने का आदेश दिया है जिसमें पोस्टमाटर्म रिपोर्ट भी शामिल हो। 

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि शिकारियों ने पक्षियों को मार डाला, क्योंकि राज्य सरकार प्रवासी पक्षियों को सुरक्षा प्रदान करने में पूरीतरह ‘विफल' रही है। याचिका के अनुसार, हजारों प्रवासी पक्षी दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में लाखों किलोमीटर की उड़ान भरते हुए राज्य में आते हैं। याचिका में कहा गया,‘‘यह संबंधित राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वे अपने संबंधित भौगोलिक अधिकार क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा, संरक्षा और सुखद प्रवास सुनिश्चित करें लेकिन त्रिपुरा में बैंगनी मूरेंस के मामले में इस बार इसका उल्लंघन किया गया।'' एक रिपोर्ट के मुताबिक, शिकारियों ने पर्पल मूरहेन्स को फंसाने के लिए जहर का इस्तेमाल किया था, जिससे एक दिन में कुछ सौ पक्षियों की मौत हो गई। दो दिन की खोज के बाद, वन और वन्यजीव अधिकारी शव परीक्षण के लिए कुछ शवों को एकत्र करने में सफल रहे। ग्रामीणों ने, हालांकि, झील पर बड़ी संख्या में पक्षियों के शवों को तैरते हुए देखा था।

याचिका में कहा गया है कि कुछ ग्रामीण मरे हुए पक्षियों को खाने के लिए ले जाते पाए गए, लेकिन वन विभाग द्वारा पक्षी के मांस के संग्रह और खपत पर प्रतिबंध लगाने के तुरंत बाद, एक घंटे के भीतर सभी मृत पक्षी गायब हो गए। इसके कारण विभाग को जांच के लिए पर्याप्त शव नहीं मिल सके। याचिका में कहा गया कि अभी तक पक्षियों को मारने के आरोप में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। मानसून पूर्व के दिनों में त्रिपुरा, अफ्रीकी क्षेत्र से प्रवासी पक्षियों के लिए एक सुखद आरामगाह होती है। गौरतलब है कि पर्पल मूरहेन एक दुर्लभ पक्षी है जो साइबेरिया से पूर्वोत्तर भारत में विशेष रूप से चीन के रास्ते त्रिपुरा में एक हजार किलोमीटर की यात्रा करता है।


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Content Editor

Hitesh

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