महाराष्ट्र चुनाव: आचार संहिता का उल्लंघन करने पर 12 वॉट्सएप ग्रुप के एडमिन को नोटिस
punjabkesari.in Saturday, Oct 12, 2019 - 08:06 PM (IST)
नेशनल डेस्कः महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले मीडिया सर्टिफिकेशन और मॉनिटरिंग कमेटी (MCMC) ने 12 निजी वाट्सएप ग्रुप के एडमिन को चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के सिलसिले में नोटिस भेजा है। गौर करने वाली बात यह है कि जिन संदेशों के लिए एडमिन को नोटिस भेजा गया है। वह इन लोगों द्वारा नहीं भेजे गए थे, बल्कि उनके ग्रुप में पोस्ट किए गए थे।
माना जा रहा है कि एमसीएमसी के इस फैसले के दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे। एमसीएमसी के अनुसार जिस दौरान चुनावी आचार संहिता लागू है, उस समय अगर किसी प्राइवेट वॉट्सएप ग्रुप में किसी उम्मीदवार के लिए प्रचार किया गया तो, इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। अगर कोई उसका स्क्रीनशॉट लेकर चुनाव आयोग के ऐप सी-विजिल (cVigil) पर भेज देता है तो इसके लिए उस ग्रुप के एडमिन को जिम्मेदार माना जाएगा।
फेसबुक और ट्विटर पर भी लागू है नियम
साथ ही इस नियम को फेसबुक और ट्विटर पर भी लागू किया गया है। दो साल पहले अमेरिका में हुए कैंब्रिज एनालिटिका स्कैंडल के बाद चुनाव के दौरान सोशल मीडिया का रोल बहुत अहम हो गया है। भारत में भी इसका असर देखा जा सकता है।
नांदेड़ एमसीएमसी के प्रमुख राजेंद्र चव्हान का कहना है कि उम्मीदवारों को चुनाव आयोग से यह अनुमति लेनी होती है कि वह किस माध्यम से अपना चुनाव प्रचार करना चाहते हैं। उनके पास प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का विकल्प होता है।
उन्होंने बताया कि अगर कोई उम्मीदवार बिना अनुमति के उस माध्यम का प्रचार करता है तो उसके खिलाफ आचार संहिता के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। इस बात से कोई भी फर्क नहीं पड़ता कि यह मेसेज किस पार्टी या उम्मीदवार के खिलाफ है। वहीं, महाराष्ट्र में जब से आदर्श संहिता लागू हुई है तब से अबतक सीवीजील (cVigil) एप पर 1200 से अधिक शिकायतें आ चुकी है।
उम्मीदवारों की छिन सकती है उम्मीदवारी
नांदेड़ में वॉट्सऐप ग्रुप के एडमिनों से कहा गया है कि वे अपने ग्रुपों पर उम्मीदवारों के सभी तरह के चुनाव प्रचार बंद कर दें और एक सप्ताह के अंदर अपना पक्ष रखें। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि अभी इन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी केवल कड़ी चेतावनी देकर ही छोड़ दिया जाएगा। लेकिन इन्होंने इसे दोबारा दोहराया तो इनके खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे।
वहीं, अगर ऐसा पाया गया कि उम्मीदवार को भी अपने इस प्रचार के बारे में जानकारी थी तो उसकी उम्मीदवारी तो जाएगी ही साथ ही अगले चार वर्षों के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जा सकता है।