कचरा साफ नहीं होने पर स्थानीय निकायों पर हर महीने लगेगा 10 लाख का जुर्माना

punjabkesari.in Saturday, Jan 18, 2020 - 10:22 AM (IST)

नई दिल्ली: शहरों में कचरा पैदा होने और उसके निस्तारण में बड़ा अंतर है जिससे पर्यावरण को नुक्सान हो रहा है और इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। यह बात राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) ने कही। साथ ही उसने निर्देश दिया कि 10 लाख से अधिक आबादी वाले इलाकों में इसके निस्तारण में विफल रहने पर स्थानीय निकायों को प्रति महीने 10 लाख रुपए जुर्माना भरना पड़ेगा। 

एन.जी.टी. अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने कहा कि ठोस और तरल अपशिष्ट के मुद्दे को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह भी निर्देश दिया गया कि सभी राज्यों और संघ-शासित क्षेत्रों के मुख्य सचिवों के कार्यालयों में एक महीने के अंदर ‘‘पर्यावरण निगरानी प्रकोष्ठ’’ का गठन किया जाए। पीठ ने कहा, ‘‘कचरा पैदा होने और उसे इकट्ठा करने के बाद उसके निस्तारण की प्रक्रिया नियमित आधार पर नहीं हो रही है। कोई भी व्यक्ति जो रेलगाड़ी से यात्रा करता है, बिखरे कूड़े और बहते नाले सामान्य तौर पर देख सकता है। संतोषजनक सीवेज प्रबंधन भी नहीं हो रहा। इन असंतोषजनक कार्यों का जल्द निदान होना चाहिए और उच्च स्तर पर समयबद्ध तरीके से होना चाहिए। जवाबदेही तय की जानी चाहिए।’’ 
 

अवैध भूजल निकासी पर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश को फटकार
 एन.जी.टी. ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में ‘संवेदनशील’ और ‘कम संवेदनशील’ क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से भूजल निकालने को लेकर ‘निष्क्रियता’ के लिए दोनों राज्यों की सरकारों को शुक्रवार को फटकार लगाई। एन.जी.टी. ने दोनों राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे निजी उद्योगों के संबंध में उपचारात्मक कदम उठाएं और साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए सामान्य कदम उठाएं कि केंद्रीय भूजल प्राधिकरण की पूर्व अनुमति के बगैर भूजल का दोहन न किया जाए। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Edited By

Anil dev

Recommended News

Related News