नेपाल की संसद ने दी विवादित नक्शे को मंजूरी, संशोधन बिल हुआ पास

punjabkesari.in Saturday, Jun 13, 2020 - 06:20 PM (IST)

काठमांडूः नेपाल की संसद में विवादित नक्शे में संशोधन का प्रस्ताव पास हो गया है। नए नक्शे में बारत के तीनों हिस्से कालापानी, लिपुलेख दर्रा और लिम्पियाधुरा को शामिल किया गया है। 275 सदस्यों वाली नेपाली संसद नें इस नक्शे मंदूरी दी। संशोधन के पक्ष में 258 वोट पड़े। बता दें कि भारत और नेपाल में सीमा विवाद के कारण रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं। 8 मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख से धाराचूला तक बनाई गई सड़क का उद्घाटन किया था। इसके बाद नेपाल ने लिपुलेख को अपना हिस्सा बताते हुए विरोध किया था। 18 मई को नेपाल ने नया नक्शा जारी किया। इसमें भारत के तीन इलाके लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को अपना हिस्सा बताया।
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नेपाल ने 18 मई को एक नया नक्शा जारी किया था, जिसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपना हिस्सा बताया था। इस कदम से भारत और नेपाल की दोस्ती में दरार आनी शुरू हो गई। भारत ने लगातार इसका कड़ा विरोध किया लेकिन नेपाल अब इस नक्शे पर अड़ गया है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत पर अवैध कब्ज़े का आरोप लगाया। साथ ही दावा किया कि वो अपनी ज़मीन वापस लेकर रहेंगे। 11 जून को नेपाल की कैबिनेट ने 9 लोगों की एक कमिटी का गठन किया है। जिस ज़मीन पर नेपाल इतने दिनों से दावा कर रहा है और भारत के साथ विवाद खड़ा कर रहा है। उस ज़मीन पर अपने अधिकार का नेपाल के पास कोई प्रमाण ही नहीं है।
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चीन की शह पर भारत के खिलाफ जा रहा नेपाल
थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने शनिवार को कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध हमेशा ही मजबूत रहा है और भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा। नेपाल की संसद में नए नक्शे पर बहुत जल्द मतदान होने की संभावना है। इस नक्शे में नेपाल ने भारत से लगी अपनी सीमा के साथ नये इलाकों के रूप में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को प्रदर्शित किया है। उसने नयी दिल्ली द्वारा सख्त विरोध जताये जाने के बावजूद यह कदम उठाया है। वहीं, भारत यह कहता रहा है कि ये तीनों इलाके उसके हैं।
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जनरल नरवणे ने कहा, ‘‘हमारा नेपाल के साथ बहुत मजबूत संबंध रहा है। हमारे भौगोलिक, सांस्कृतिक, एतिहासिक, धार्मिक संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच लोगों के स्तर पर भी मजबूत संबंध रहे हैं। उनके साथ हमारा संबंध हमेशा मजबूत रहा है और भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा।''  नेपाल ने सड़क के उदघाटन के पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दावा किया था कि यह नेपाली भू-भाग से होकर गुजरती है। इस विवाद के बीच में जनरल नरवणे ने कहा था कि यह मानने के कारण हैं कि नेपाल ने किसी और के इशारे पर सड़क का विरोध किया है, उन्होंने इस विषय में चीन की भूमिका का संभवत: जिक्र करते हुए यह कहा। इस टिप्पणी पर नेपाल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। कुछ दिन बाद नेपाल नया नक्शा लेकर आ गया, जिसमें उसने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपने भू-भाग के रूप में दिखाया है।

लिपुलेख दर्रा, कालापानी के नजदीक सुदूर पश्चिमी बिंदु (स्थान) है। कालापानी, नेपाल और भारत के बीच विवादित क्षेत्र है। दोनों देश इसे अपना-अपना अभिन्न हिस्सा बताते हैं। भारत इसे उत्तराखंड के पिथौड़ागढ़ जिले का हिस्सा बताता है, जबकि नेपाल इसके धारचुला जिले का हिस्सा होने का दावा करता है। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने इन तीनों इलाकों को नेपाल का हिस्सा होने का दावा किया है।

 


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Yaspal

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