तीसरे फाइटर जेट एयरक्राफ्ट की तैयारी में भारतीय नौसेना, केंद्र के सामने रखा बड़ा प्रस्ताव

punjabkesari.in Tuesday, Nov 16, 2021 - 09:04 PM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय नौसेना को तीसरे विमानवाहक पोत की मांग पर सरकार की ओर से सकारात्मक जवाब मिलने का भरोसा है और युद्धपोत को लड़ाकू जेट तथा मानवरहित विमानों दोनों को समायोजित करने के लिए डिजाइन किया जाएगा। घटनाक्रम से अवगत लोगों ने मंगलवार को यह बात कही। वर्तमान में, भारत के पास केवल एक विमानवाहक पोत-‘आईएनएस विक्रमादित्य' है जो रूसी मूल का मंच है।

स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत (आईएसी) आईएनएस विक्रांत के 2022 तक पूरी तरह से परिचालित होने की उम्मीद है। घटनाक्रम से अवगत लोगों ने कहा कि तीसरे विमानवाहक पोत के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा चल रही है और इसके निर्माण की लागत तथा समय को कम करने के लिए इसके कुल वजन को प्रस्तावित 65,000 टन से कम किया जा सकता है।

इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, ‘‘हम परियोजना के विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रहे हैं। इसे लड़ाकू जेट और मानवरहित विमानों दोनों को समायोजित करने के लिए डिज़ाइन किया जाएगा।'' पिछले साल, एक संवाददाता सम्मेलन में नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा था कि भारत के लिए तीसरा विमानवाहक पोत समुद्री क्षमता को और बढ़ाने के लिए "अत्यंत आवश्यक" है। संबंधित सूत्रों ने कहा कि तीसरी विमान वाहक परियोजना को भारतीय नौसेना की संशोधित 15 वर्षीय समुद्री क्षमता परिप्रेक्ष्य योजना (एमसीपीपी) में शामिल किया जाना तय है।

तीसरे विमानवाहक पोत के बारे में पूछे जाने पर नौसेना उपप्रमुख वाइस एडमिरल सतीश नामदेव घोरमडे ने कहा कि योजना बनाते समय तीसरे विमानवाहक पोत की आवश्यकता को ध्यान में रखा जाएगा। उन्होंने एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से कहा, "इन सभी, विमानवाहक पोत (तीसरे), पनडुब्बी और समुद्री गश्ती विमान की एक निश्चित भूमिका होगी। संतुलित बल बनाने के लिए, देश की क्षमता के लिए इन सभी की आवश्यकता होती है।" आईएसी विक्रांत को लगभग 23,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। अगस्त में, इसने पांच दिवसीय पहली समुद्री यात्रा पूरी की थी और इसकी प्रमुख प्रणालियों का प्रदर्शन संतोषजनक पाया गया था।


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Content Writer

Yaspal

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