Farmers Protest: SC के फैसले से सहमत नहीं दिखे किसान, कानून वापसी तक नहीं करेंगे घर वापसी

punjabkesari.in Tuesday, Jan 12, 2021 - 04:13 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 48 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन का कोई समाधान निकलने की बजाए, अब बात बिगड़ती जा रही है। दोनों पक्षों ने अपने नाक का सवाल बना लिया है। न किसान पीछे हटने को तैयार और न ही सरकार कदम खींचने को राजी।  इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ा झटका देते हुए अपने फैसले में तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने इन कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों और सरकार के बीच व्याप्त गतिरोध दूर करने के लिये एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर दी। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर किसान सहमत नहीं दिखे। उन्होंने कहा है कि जबतक कानून वापसी नहीं होगा, तबतक किसानों की घर वापसी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हम अपनी बात रखेंगे, जो दिक्कत हैं सब बता देंगे।

सुप्रीम कोर्ट के रोक का कोई फायदा नहीं है क्योंकि यह सरकार का एक तरीका है कि हमारा आंदोलन बंद हो जाए। यह सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है यह सरकार का काम था, संसद का काम था और संसद इसे वापस ले। जब तक संसद में ये वापस नहीं होंगे हमारा संघर्ष जारी रहेगा: सिंघु बॉर्डर से एक किसान https://t.co/lc1Nf5aQWX pic.twitter.com/7mUbuVYfWu

— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 12, 2021

कानून वापस लेने तक नहीं होगा आंदोलन खत्म
किसान नेताओं ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का मंगलवार को स्वागत किया, लेकिन कहा कि जब तक कानून वापस नहीं लिए जाते तब तक वे अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। करीब 40 आंदोलनकारी किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने अगले कदम पर विचार करने के लिए आज एक बैठक बुलाई है। किसान नेताओं ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की तरफ से नियुक्त किसी भी समिति के समक्ष वे किसी भी कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेना चाहते हैं लेकिन इस बारे में औपचारिक निर्णय मोर्चा लेगा। मोर्चा के वरिष्ठ नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कृषि कानूनों पर रोक लगाने के अदालत के आदेश का हम स्वागत करते हैं लेकिन हम चाहते हैं कि कानून पूरी तरह वापस लिए जाएं।

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दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं किसान
एक अन्य किसान नेता हरिंदर लोखवाल ने कहा कि जब तक विवादास्पद कृषि कानून वापस नहीं लिए जाते हैं, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को अगले आदेश तक विवादास्पद कृषि कानूनों पर रोक लगा दी और एक समिति का गठन करने का निर्णय किया ताकि केंद्र और किसान संगठनों के बीच जारी गतिरोध का समाधान किया जा सके। इन कानूनों के विरोध में किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह इस बारे में आदेश पारित करेगी। समिति तीनों कानूनों के खिलाफ किसानों की शिकायतों पर गौर करेगी। हरियाणा और पंजाब सहित देश के विभिन्न हिस्सों के किसान पिछले वर्ष 28 नवंबर से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं और तीनों कानूनों को वापस लेने तथा अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की वैधानिक गारंटी की मांग कर रहे हैं। 

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दोनों पक्षो के लिए बना नाक का सवाल
बात जहां से शुरू हुई थी 48 दिन बाद भी वहीं ठहरी हुई है।  किसान यूनियनों के 41 प्रतिनिधियों के साथ सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश के बीच विज्ञान भवन में कईं बार मीटिंग हुई लेकिन कोई हल नहीं निकल सका। वार्ता के दौरान दोनों पक्षों में कई बार तल्खी भी दिखी। किसानों का कहना कि जब तक तीनों कानून वापस नहीं होते, किसान की घर वापसी नहीं होगी। इस पर कृषि मंत्री  टूक जवाब देते हुए कहा था कि कानून तो वापस नहीं होगा, कोई और विकल्प हो तो दीजिए।

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कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर अगले आदेश तक 'सुप्रीम' रोक 
वहींं आज उच्चतम न्यायालय ने तीनों कृषि सुधार कानूनों के क्रियान्वयन को अगले आदेश तक निलंबित करने और एक समिति गठित करने का मंगलवार को निर्णय लिया। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद कहा, हम अगले आदेश तक तीनों कृषि सुधार कानूनों को निलंबित करने जा रहे हैं। हम एक समिति भी गठित करेंगे। शीर्ष अदालत ने कहा, हम समिति में भरोसा करते हैं और इसे गठित करने जा रहे हैं। यह समिति न्यायिक कार्यवाही का हिस्सा होगी। न्यायालय ने समिति के लिए कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, हरसिमरत मान, प्रमोद जोशी और अनिल घनवंत के नाम का प्रस्ताव भी किया है। हालांकि, न्यायालय पूर्ण आदेश आज शाम तक जारी करेगा।


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Anil dev

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