दो वक्त की रोटी के लिए ऑटो चलाता है ये पूर्व सैनिक, 1971 के युद्ध में बहादुरी के लिए मिला था मेडल

punjabkesari.in Wednesday, Mar 03, 2021 - 01:11 PM (IST)

नेशनल डेस्क: एक सैनिक अपना परिवार अपने बच्चे छोड़कर सैकड़ों-हजारों किलोमीटर दूर रहकर सरहद पर रहता है ताकि दुश्मन उसके देश पर हमला न कर सके। इतना ही नहीं, युद्ध के दौरान वह हंसते हंसते देश के लिए शहीद भी हो जाता है। वहीं आज हम आपको ऐसे पूर्व सेनिक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको जानकर आपकी आखों में आंसू आ जाएंगे। शेख अब्दुल करीम नाम का सैनिक जिन्होंने 1971 में भारत और चीन के बीच हुए युद्ध में बहादुरी दिखाने के लिए उन्हें मेडल दिया गया था। लेकिन आज वह दो वक्त की रोटी के लिए ऑटो चलाने के लिए मजबूर है। शेख अब्दुल करीम जोकि तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद रहते हैं। 

1971 में हुए युद्ध में बहादुरी दिखाने के लिए मिला मेडल
मीडिया से बातचीत के दौरान अब्दुल करीम ने बताया कि 1964 में वह भारतीय सेना में भर्ती हुआ था। भारत और चीन के बीच 1971 में हुए युद्ध में बहादुरी दिखाने के लिए उन्हें मेडल दिया गया था। करीम ने बताया, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन के दौरान कुछ सेना को हटाने का आर्डर जारी हुआ था जिसमें वह भी थे।  सेना में रहते हुए मैंने सरकारी जमीन के लिए आवेदन किया था, तेलंगाना के गोलापल्ली गांव में मुझे पांच एकड़ जमीन दी गई। करीब 20 साल बाद वो जमीन गांव के अन्य सात लोगों को दे दी गई। जब मैंने इस बारे में शिकायत की, तो जांच के बाद मुझे दूसरी जगह जमीन देने की पेशकश की गई, लेकिन वो जमीन देने से इनकार कर दिया गया। 

सोशल मीडिया पर तस्वीरें हुईं वायरल
उन्होंने कहा घर चलाने के लिए वह अब ऑटो-रिक्शा चलाते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे सरकार से इस बात की शिकायत है कि देश की इतने साल लगाने के बाद उनको कोई वित्तीय मदद नहीं की गई। उन्होंने कहा आज उनकी उम्र 71 साल है और आज भी वह रात दिन रिक्शा चलाकर अपने घर का पेट भर रहा है। सोशल मीडिया पर अब्दुल करीम की रिक्शा चलाने की तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही है जिसके बाद यूजर्स का सरकार पर गुस्सा फूट पड़ रहा है। यूजर्स का कहना है कि सरकार को अब्दुल करीम को जल्द से जल्द मदद कर नहीं चाहिए। 


 


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Content Writer

Anil dev

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