President Election: जब 37 में से 36 उम्मीदवारों ने वापस ले लिया नाम और देश को मिला इकलौता निर्विरोध राष्ट्रपति

punjabkesari.in Saturday, Jul 16, 2022 - 05:42 PM (IST)

नेशनल डेस्क: देश के सातवें राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी स्वतंत्र भारत के इतिहास में सर्वोच्च पद के लिए निर्विरोध चुने गए इकलौते राष्ट्रपति थे। वह 1977 में फकरुद्दीन अली अहमद के निधन के बाद राष्ट्रपति बने थे। अहमद ने 11 फरवरी 1977 को अंतिम सांस ली थी। इससे एक दिन पहले आपातकाल के दो साल बाद लोकसभा चुनाव हुए थे। उस समय उपराष्ट्रपति बी डी जत्ती ने कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद संभाला था। उस साल जून-जुलाई को 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने थे और राष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना चार जुलाई को ही दी गयी। हालांकि, लोकसभा के 524 नवनिर्वाचित सांसद, राज्यसभा के 232 सदस्य और 22 विधानसभाओं के विधायक राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं दे सके क्योंकि रेड्डी चुनावी मुकाबले में इकलौते उम्मीदवार थे।

 36 अन्य उम्मीदवारों का नामांकनपत्र खारिज कर दिया गया था। यह चुनाव बेशक असामान्य परिस्थितियों में हुआ था लेकिन सबसे दिलचस्प चुनाव 1969 में हुआ जब कांग्रेस के आधिकारिक प्रत्याशी रेड्डी ने वी वी गिरि को हरा दिया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पार्टी के भीतर अपने विरोधियों को किनारे लगाने की कोशिश में ‘‘अपने विवेक से वोट देने'' का आह्वन किया था। इतने वर्षों में राष्ट्रपति चुनाव के नियमों में संशोधन भी किया गया ताकि ऐसे उम्मीदवारों को मुकाबले में शामिल होने से रोका जा सके जो अपनी उम्मीदवारी को लेकर गंभीर न हों और जिनके निर्वाचित होने की संभावना न के बराबर हो। वहीं, जिस तरीके से लोगों ने राष्ट्रपति पद के चुनाव को चुनौती देते हुए अदालतों का दरवाजा खटखटाया, वह भी चिंता का विषय बन गया।

 इसके बाद राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहे किसी भी व्यक्ति के लिए नामांकन भरने के वास्ते कम से कम 50 प्रस्तावकों और 50 समर्थकों की सूची देना अनिवार्य कर दिया गया। सोमवार को होने वाले 16वें राष्ट्रपति चुनाव में 4,809 मतदाता होंगे, जिनमें से 776 सांसद और 4,033 विधायक हैं। इनमें राज्यसभा के 233 सदस्य और लोकसभा के 543 सांसद शामिल हैं। देश में 1952 में पहले राष्ट्रपति चुनाव में पांच उम्मीदवार थे, जिनमें से सबसे आखिर में रहे उम्मीदवार को महज 533 मत मिले थे। इस चुनाव में राजेंद्र प्रसाद ने जीत हासिल की थी। 1957 में दूसरे चुनाव में तीन उम्मीदवार थे। यह चुनाव भी प्रसाद ने जीता था। तीसरे राष्ट्रपति चुनाव में महज तीन प्रत्याशी थे लेकिन 1967 में चौथे चुनाव में 17 उम्मीदवार थे, जिनमें से नौ को एक भी मत न हीं मिला और पांच उम्मीदवारों को 1,000 से भी कम मत मिले थे। इस चुनाव में जाकिर हुसैन को 4.7 लाख से अधिक मत मिले थे।

 पांचवें चुनाव में 15 उम्मीदवार मुकाबले में थे, जिनमें से पांच को एक भी वोट नहीं मिला। 1969 में इस चुनाव में कई प्रयोग पहली बार हुए थे, जिनमें मतदान की सख्ती से गोपनीयता बनाए रखना और कुछ विधायकों को अपने राज्यों की राजधानियों के बजाय नयी दिल्ली में संसद भवन में मतदान की अनुमति देना शामिल था। वहीं, 1974 के छठें चुनावों में पहली बार निर्वाचन अयोग ने अपनी उम्मीदवारों को लेकर गंभीर न होने वाले लोगों के खिलाफ कई कदम उठाए थे। इस चुनाव में केवल दो उम्मीदवार थे। 1977 में सातवें चुनाव में कुल 37 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किया था। 

नामांकन पत्रों की छंटनी करने पर निर्वाचन अधिकारी ने 36 उम्मीदवारों के नामांकन पत्र खारिज कर दिए थे और केवल एक उम्मीदवार रेड्डी मुकाबले में थे। 1982 में हुए आठवें राष्ट्रपति चुनाव में दो प्रत्याशी थे जबकि 1987 में नौवें राष्ट्रपति चुनाव में तीन प्रत्याशी थे। इस चुनाव में एक उम्मीदवार मिथिलेश कुमार सिन्हा ने निर्वाचन आयोग से आकाशवाणी/दूरदर्शन पर अपने विचार रखने का अनुरोध किया था, जिसे ठुकरा दिया गया था। इसके बाद 1992 में 10वें राष्ट्रपति चुनाव में चार उम्मीदवार थे। 1997 में हुए 11वें राष्ट्रपति चुनाव के बाद से केवल दो उम्मीदवार रहे हैं, जब सुरक्षा राशि और प्रस्तावकों तथा समर्थकों की संख्या में अच्छी-खासी बढ़ोतरी कर दी गयी थी। 
 


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Content Writer

Anil dev

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