महंत नरेंद्र गिरि की मौत के लेकर हुआ चौंकाने वाला खुलासा, एक दिन पहले ही रस्सी से...

punjabkesari.in Tuesday, Sep 21, 2021 - 12:29 PM (IST)

नेशनल डेस्क: देश भर में अपने बयानों से सुर्खियों में बने रहने वाले अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी का संदिग्धावस्था में निधन हो गया, उनका शव अल्लापुर बाघम्बरी गद्दी मठ के एक कमरे में पंखे से लटका मिला। वह 58 वर्ष के थे।  पुलिस सूत्रों का कहना है कि मौके पर डॉग स्क्वाड़ और फारेंसिक टीमें जांच कर रही है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।  वहीं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध हालत में मौत के मामले में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है। 

शिष्यों ने किया इस बात का खुलासा
वहीं पता चला है कि जिस रस्सी से बने फंदे पर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष का शव लटकता मिला, उसे एक दिन पहले ही उन्होंने अपने सेवकों से मंगाया था। पूछने पर कहा था कि कपड़े सुखाने के लिए उन्हें इसकी जरूरत है। फिलहाल फॉरेंसिक टीम ने इस रस्सी को भी कब्जे में ले लिया है। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी का शव पंखे में फंसाए गए फंदे पर लटका मिला था। इस बात का खुलासा खुद महंत के शिष्यों ने पूछताछ के दौरान किया है। पुलिस अधिकारी मठ से संबधित लोगों से भी पूछताछ कर रहे है। उन्होंने बताया कि प्रथम द्दष्टया फांसी लगाकर आत्महत्या का मामला लग रहा है। 

महंत नरेन्द्र गिरी दोबारा चुने गये थे परिषद के अध्यक्ष 
साधु संतो की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी को अक्टूबर 2019 में हुई 13 अखाड़ों की बैठक में दोबारा परिषद का अध्यक्ष चुना गया था। मंहत नरेन्द्र गिरी अल्लापुर बाघम्बरी गद्दी में अधिकांश समय व्यतीत करते थे। पहली बार मार्च 2015 में पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव और मठ बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि को सर्वसम्मति से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया था। उसके बाद दोबारा उन्हें अकटूबर 2019 में अध्यक्ष चुना गया था।देश में कुल 13 अखाड़े हैं। वर्ष 1954 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की स्थापना हुई थी। अखाड़ा परिषद ही महामंडलेश्वर और बाबाओं को प्रमाणपत्र देती है। कुंभ और अर्ध कुंभ मेले में कौन अखाड़ा कब और किस समय स्नान करेगा यह अखाड़ा परिषद ही तय करती है।

करीब 900 साल पहले हुई थी  निरंजनी अखाड़े की स्थापना 
गौरतलब है कि निरंजनी अखाड़े की स्थापना करीब 900 साल पहले हुई थी जबकि बाघंबरी गद्दी 300 साल पुरानी है। निरंजनी अखाड़ा की स्थापना गुजरात के मांडवी में हुई थी, जहां पर महंत अजि गिरि, मौनी सरजूनाथ गिरि, पुरुषोत्तम गिरि, हरिशंकर गिरि, रणछोर भारती, जगजीवन भारती, अर्जुन भारती, जगन्नाथ पुरी, स्वभाव पुरी, कैलाश पुरी, खड्ग नारायण पुरी, स्वभाव पुरी ने मिलकर अखाड़ा की नींव रखी। हालांकि इसका मुख्यालय प्रयागराज में है वहीं उज्जैन, हरिद्वार, त्रयंबकेश्वर और उदयपुर में भी अखाड़े ने अपने आश्रम बना रखे हैं। शैव परंपरा के निरंजनी अखाड़े के करीब 70 फीसदी साधु-संतों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है। इनमें से कुछ डॉक्टर, कुछ वकील, प्रोफेसर, संस्कृत के विद्वान और आचार्य शामिल हैं। वर्तमान समय में लगभग निरंजनी अखाड़ा में 33 महामंडलेश्वर, 1000 के करीब साधु और 10 हजार नागा शामिल हैं। 


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Content Writer

Anil dev

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