आदिवासियों को कन्या पूजन पर खाना खिलाना BJP को पड़ा महंगा

punjabkesari.in Tuesday, Oct 12, 2021 - 04:57 PM (IST)

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के विधान सभा चुनाव को अभी 2  साल बाकी है लेकिन मध्य प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 2018 के चुनाव में जिन कमियों की कीमत चुकानी पड़ी थी उन्हें दूर करने के लिए अभी से कमर कसनी शुरू कर दी है। इस रणनीति के तहत एक महत्वपूर्ण हिस्सा राज्य के आदिवासियों और दलितों तक पहुंच बनाना है। और  कल अंतराष्ट्रीय बालिका दिवस पर BJP ने इससे एक अवसर के रूप में देखा और आदिवासियों तक पहुंचने की कोशिश भी की। BJP के नेता और कार्यकरता सेवा समपर्ण आयोजन, नवरारत्रि के पावन पर्व जो पूरा देश मना रहा है उसी वक़्त शिवपुरी के एक छोटे से गांव कोलारस में कुपोषित बच्चियों को खाना देने का कार्यक्रम का आयोजन किया। लेकिन इस पूरे कार्यक्रम में एक दुखद घटना का भी सामना करने को मिला। एक आदिवासी परिवार की मासूम बेटी लक्ष्मी की दुखद मौत भी हो गयी और परिवार भटकता रहा और  बच्ची  को कोई इलाज नहीं मिल पाया। 
Kamal Nath Embed Koo
इस पूरे मामले में ज़ोर पकड़ा औरविरोधी पार्टियों ने बीजेपी पर सीधा निशाना भी सीधा। मध्य प्रदेश एक पूर्व मुख्य मंत्री कमल नाथ ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म Koo  पर लिखा कि  "उपचुनाव  क्षेत्रों में भाजपा का कन्या पूजन कार्यक्रम जारी और वही नवरात्रि जैसे पावन पर्व पर मध्यप्रदेश के शिवपुरी के कोलारस में कुपोषित आदिवासी परिवार की मासूम लक्ष्मी की दुखद मौत, परिवार भटकता रहा इलाज नहीं मिला। यह है भाजपा का सेवा, समर्पण, जनकल्याण सुराज व कन्या पूजन अभियान..?" मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हम आपको बता दें की मध्य प्रदेश राज्य में अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अनुसूचित जाति (एससी) का एक बड़ा वर्ग पार्टी का समर्थन नहीं करता है, इसका बड़ा कारण उनके समुदाय का भाजपा (BJP) में प्रतिनिधित्व न के बराबर होना है।

2011 हुई  जनगणना को देखें तो,  प्रदेश में कुल जनसंख्या का 21.5 % आदिवासी  की है जो भारत में किसी भी राज्य की तुलना में सबसे अधिक है। इसमें से 15.6 प्रतिशत अनुसूचित जाति में आते है |  राज्य की 47 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। अभी तक का 2018 और 2013  का BJP  का ट्रैक रिकॉर्ड 2018 में, BJP ने प्रदेश के आदिवासी के बड़े  इलाकों में सिर्फ 16 सीटें पर ही जीत दर्ज़  कर पाई  थी , वंही  2013 में 31 सीटें उनको मिली थी।   2018 में बीजेपी ने एससी  (SSC) के लिए आरक्षित 35 सीटों में से 17 सीटें जीती थीं, जबकि 2013 में 28 सीटें जीती थीं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘हम एससी और एसटी मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे और भाजपा को एससी / एसटी की पार्टी बनाएंगे। एससी और एसटी आबादी के लिए पहले से ही कार्यक्रम शुरू किए जा चुके हैं।’इसी के साथ साथ BJP पार्टी  को फिलहाल आदिवासी समुदाय से 30-35% वोट जुटा पाती है और इस बार का लक्ष्य लक्ष्य उनका 75 प्रतिशत तक पहुंचने का है। इस बार वो  सुनिश्चित करना चाह रही है कि लोग उन्हें  समाज के सभी वर्गों के लिए एक पार्टी के रूप में देख सके। इसी बात को ध्यान में रखते हुए BJP पार्टी फिलहाल बहु-आयामी रणनीति का सहारा ले कर अपना गढ़ मजबूत करने में लगी हुई है जिसके चलते सरकारी कार्यक्रमों और पार्टी में संगठनात्मक परिवर्तन से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों को शुरू करने तक। राज्य के सभी नेताओं  को सीधा कहा गया है कि उनके काम को पहचानने के लिए कार्यक्रमों के संचालन के लिए प्रतिष्ठित एससी (SC)/ एसटी (ST) आंकड़ों की पहचान की जा रही है।

18 सितंबर को, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी जबलपुर  के दौरे के वक़्त  आदिवासी नायकों को सम्मानित करने के लिए एक कार्यक्रम में भाग भी भाग लिया था। BJP  फिलहाल  राज्य के दूसरी बड़ी पार्टी है । BJP  2018 के चुनाव में 109 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी के और  230 सदस्यीय MP (एमपी) विधानसभा में 114 सीटें जीतने वाली कांग्रेस से वो बस मात्र  कुछ वोटों से पीछे छोड़  पाई  थी। वही 2020 मार्च में सरकार बनाने में सफल रही जब ज्योतिरादित्य सिंधिया जो फिलहाल अब एक केंद्रीय मंत्री हैं अपने 22 कांग्रेस विधायकों के साथ पार्टी में शामिल हो गए।


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Content Writer

Anil dev

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