अदालत ने कहा- सहमति के हलफनामे के आधार पर संपत्ति में महिला के अधिकार को छोड़ा नहीं जा सकता

punjabkesari.in Wednesday, Jul 14, 2021 - 04:53 PM (IST)

नेशनल डेस्क: गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा है कि पिता की संपत्ति में किसी महिला का अधिकार महज इस आधार पर नहीं छोड़ा जा सकता कि उसने अपना अधिकार नहीं जताने के लिए सहमति हलफनामे पर हस्ताक्षर किए हैं। न्यायमूर्ति ए वाई कोगजे की अदालत ने भावनगर जिले की उस महिला की याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई जिसने प्रशासन के एक निर्णय को चुनौती दी है। प्रशासनिक अधिकारियों ने संपत्ति में अपने अधिकारों को त्यागने वाले एक सहमति हलफनामे को स्वीकार करते हुए भूमि के राजस्व रिकॉर्ड में उसका नाम शामिल करने से इनकार कर दिया था। 

याचिकाकर्ता रोशन देराया और उसकी बहन हसीना ने पिता हाजी देराया की अक्टूबर 2010 में मौत होने से पहले एक सहमति हलफनामे पर हस्ताक्षर किया था जिसमें उन्होंने अपने हिस्से की जमीन अपने तीन भाइयों के लिए छोड़ दी थी, जिसके आधार पर उनके नाम राजस्व रिकॉर्ड से बाहर रखे गए थे। पिता की मौत के बाद जब जमीन याचिकाकर्ता के भाइयों के नाम कर दी गई तो वह उप जिलाधिकारी के पास गई और उस सहमति हलफनामे के आधार पर अपने नाम बाहर रखे जाने के बारे में सवाल किया जिस पर उसने तब हस्ताक्षर किए थे जब उसके पिता जीवित थे। 

नाम शामिल करने के याचिकाकर्ता के आवेदन को उप जिलाधिकारी और जिलाधिकारी दोनों ने खारिज कर दिया। राजस्व विभाग ने भी देरी के आधार पर जून 2020 में उनकी अपील खारिज कर दी। सोमवार को उपलब्ध अदालती आदेश में कहा गया कि पिता की मौत के बाद भी, उत्तराधिकार के लिए याचिकाकर्ता के पिता के हिस्से की भूमि में उसके हिस्से के अधिकार की जांच की जानी थी। अदालत ने कहा कि सहमति हलफनामे को पिता की मौत के बाद उनके हिस्से में याचिकाकर्ता के अधिकार को समाप्त करने वाला नहीं माना जा सकता।


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Content Writer

Anil dev

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