स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा- तनाव के चलते बढ़ सकता है कोरोना संक्रमण का खतरा

punjabkesari.in Monday, Jan 17, 2022 - 11:24 AM (IST)

नेशनल डैस्क: एक नई स्टडी के मुताबिक जिन लोगों को वैश्विक महामारी के प्रारंभिक दौर में तनाव, चिंता और अवसाद का अनुभव हुआ, उनके लिए कोरोना संक्रमण बड़ा खतरा बन सकता है। यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम के स्कूल ऑफ मेडिसिन की प्रोफेसर कविता वेधरा के नेतृत्व में की गई इस स्टडी में किंग्स कॉलेज लंदन और न्यूजीलैंड की ऑकलैंड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने भी सहयोग किया। इस स्टडी में बताया गया है कि कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में मानसिक परेशानी का सामना करने का गहरा संबंध पाया गया है। रिसर्च में कहा गया है कि वैश्विक महामारी का संबंध मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी जुड़ा हुआ है। स्टडी में दावा किया गया है कि इस बीमारी की गंभीरता मानसिक स्थिति को भी दर्शाती है। इस स्टडी का निष्कर्ष ऐनल्ज ऑफ बिहेव्यरल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

क्या कहते हैं जानकार
प्रोफेसर कविता वेधरा के अनुसार, जन स्वास्थ्य नीतियां बनाते हुए ये ध्यान रखने की जरूरत है कि हमारे समाज के ज्यादा परेशान लोगों के लिए कोरोना संक्रमण का ज्यादा खतरा रहता है। उनका कहना है कि हमारा डाटा बताता है कि बढ़ा हुआ तनाव, चिंता और अवसाद न केवल महामारी के साथ जीने के परिणाम हैं, बल्कि ऐसे कारक भी हो सकते हैं जो हमारे सार्स-कोव-2 होने के जोखिम को भी बढ़ाते हैं। किंग्स कॉलेज लंदन में संज्ञानात्मक व्यवहार मनोचिकित्सा की प्रोफेसर ट्रुडी चेल्डर का कहना है कि पिछली स्टडी ने संकट और वायरल संक्रमण के विकास के बीच एक स्पष्ट संबंध दिखाया है जो एक भेद्यता का संकेत देता है। हमने हमारी स्टडी के दौरान ये पाया कि परेशानी सेल्फ रिपोर्टेड कोविड-19 इंफेक्शन से जुड़ी थी और अगला कदम ये जांचना है कि क्या ये जुड़ाव कन्फर्म्ड इंफेक्शन वाले लोगों में पाया जाता है।

स्टडी में क्या निकला
न्यूजीलैंड की ऑकलैंड यूनिवर्सिटी में 1100 लोगों पर की गई स्टडी में पता चला कि पहले से परेशान लोगों को कोरोना संक्रमण अधिक हुआ है। इसके आधार पर कहा जा सकता है कि महामारी की रोकथाम में बनने वाली रणनीतियों में इन बिंदुओं को शामिल कर उसे ज्यादा प्रभावी बनाया जा सकता है।


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Content Writer

Anil dev

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