खालिस्तानी आतंकियों और गैंगस्टरों की पनाहगार बना कनाड़ा

punjabkesari.in Thursday, Jul 28, 2022 - 03:11 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: पंजाब के गैंगस्टरों और खालिस्तानी आतंकियों के लिए कनाडा एक बड़ा पनाहगार बना हुआ है। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के ए श्रेणी के सात गैंगस्टर में से अभी भी पांच ऐसे हैं जो कई मामलों में भारत में वांटेड हैं, लेकिन वारदातों को कनाडा में बैठ कर अंजाम देने में लगे हुए हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि वे कथित तौर पर आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे हैं और पंजाब में माहौल खराब करने के लिए आतंकी अभियानों और हत्याओं को भी अंजाम दे रहे हैं। हाल ही में एनआईए ने जालंधर में एक हिंदू पुजारी की हत्या के मामले में खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।

इसके अलावा जबरन वसूली का उनका कारोबार भी कनाडा से ही चल रहा है। सिद्धू मूसेवाला और कनाडा में हुई रिपुदमन मलिक की हत्याओं ने गैंगस्टरों और कट्टरपंथी तत्वों के बीच गठजोड़ को उजागर किया है। पुलिस ने गैंगस्टर्स को तीन हालिया मामलों में आरोपी के रूप में नामित किया है। जिनमें 9 मई को मोहाली में खुफिया मुख्यालय पर हमला, 29 मई को सिद्धू मूसेवाला की हत्या और 14 जुलाई को कनाडा के सरी में रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या शामिल है।

एक रिपोर्ट की मानें तो ए-सूचीबद्ध सात गैंगस्टरों में से लखबीर सिंह उर्फ लांडा, मूसेवाला हत्याकांड में वांछित गोल्डी बराड़, चरणजीत सिंह उर्फ रिंकू रंधावा, अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डाला और रमनदीप सिंह उर्फ रमन जज इस वक्त कनाडा में छिपे हुए हैं। इसके अलावा अन्य दो गैंगस्टर गुरपिंदर सिंह उर्फ बाबा डल्ला और सुखदुल सिंह उर्फ सुखा दुनेके हैं। दोनों अवर्गीकृत हैं और लक्षित हत्याओं के मामलों में वांछित हैं। पुलिस के डोजियर में कहा गया है कि सभी सातों गैंगस्टर्स ने ने छोटे समय के अपराधियों के रूप में शुरुआत की और समय के साथ कट्टरपंथी गैंगस्टर बन गए।

भारत सरकार ने इनमें से चार के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) जारी किया है, जबकि अन्य को नोटिस जारी करने के लिए प्रक्रिया जारी है. कनाडा के अधिकारियों द्वारा आरोपियों के अपने देश में होने की पुष्टि करने के बाद प्रत्यर्पण की कार्यवाही शुरू हो जाएगी. एक देश सुरक्षा एजेंसियों, हवाई अड्डों और अन्य परिवहन अधिकारियों को किसी मामले में वांछित व्यक्ति की तलाश करने के लिए एक लुकआउट सर्कुलर जारी करता है। प्रत्यर्पण कार्यवाही शुरू करने के लिए रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) आवश्यक है। आरसीएन जारी होने के बाद पुलिस अपने देश में आरोपियों की पहचान और ठिकाने की पुष्टि करती है. एक बार यह स्थापित हो जाने के बाद प्रत्यर्पण की कार्यवाही शुरू होती है। हालांकि यह प्रक्रिया जटिल है और नौकरशाही की तकरार और विवादों में फंस जाती है।a

हाल ही में मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले गोल्डी बराड़ के खिलाफ आरसीएन को लेकर पंजाब पुलिस और गृह मंत्रालय के बीच नोकझोंक हुई है। पंजाब पुलिस ने दावा किया कि गैंगस्टरों के खिलाफ आरसीएन जारी करने पर केंद्र तेजी से प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है। पुलिस ने कहा कि गोल्डी बरार के संबंध में एक अनुरोध दो बार भेजा गया था। इसमें पहला नवंबर 2021 में और फिर दूसरा इस साल 19 मई को मूसेवाला की हत्या से 10 दिन पहले भेजा गया था। हालांकि सीबीआई ने दावा किया है कि हत्या के एक दिन बाद 30 मई को अनुरोध प्राप्त हुआ था। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जब प्रत्यर्पण कार्यवाही की बात आती है तो कनाडा सरकार सहयोग नहीं करती है। जस्सी ऑनर किलिंग इसी का एक उदाहरण है. कनाडा ने अपराध के 18 साल बाद दो आरोपियों को प्रत्यर्पित किया है।


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Content Writer

Anil dev

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