SC ने परमबीर सिंह से पूछा- कहां हो आप? जवाब- सांस लेने की इजाजत मिले तो गड्ढे से बाहर आ जाऊं

punjabkesari.in Thursday, Nov 18, 2021 - 02:05 PM (IST)

नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह से अपना पता बताने को कहा और साथ ही कहा कि ‘‘जब तक हमें यह नहीं पता चल जाता कि आप कहां हैं तब तक कोई सुरक्षा नहीं दी जाएगी, कोई सुनवाई नहीं होगी।'' वहीं इस पूरे मामले पर परमबीर की ओर से कहा गया कि अगर मुझे सांस लेने की इजाजत मिले तो मैं गड्ढे से बाहर आ जाऊंगा।  न्यायालय ने उनके वकील को सिंह का पता बताने के लिए कहा और मामले पर अगली सुनवाई के लिए 22 नवंबर की तारीख तय कर दी। 

PunjabKesari

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि सुरक्षा देने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए दायर की गयी है। पीठ ने कहा, ‘‘आप सुरक्षात्मक आदेश देने का अनुरोध कर रहे हैं लेकिन कोई नहीं जानता कि आप कहां हैं। मान लीजिए आप विदेश में बैठे हैं और पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए कानूनी सहारा ले रहे हैं तो क्या होगा। अगर ऐसा है, तो अदालत यदि आपके पक्ष में फैसला देती है तभी आप भारत आयेंगे होगा, हम नहीं जानते कि आपके दिमाग में क्या चल रहा है। जब तक हमें यह पता नहीं चल जाता कि आप कहां हैं, तब तक कोई सुरक्षा नहीं, कोई सुनवाई नहीं होगी।'' न्यायालय ने कहा, ‘‘याचिका पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए दायर की गयी है। आप कहां हैं। आप देश में हैं या देश से बाहर? आप कहां हैं। पहले जब हमें पता चलेगा कि आप कहां हैं तभी हम आगे कुछ करेंगे?'' मुंबई में एक मजिस्ट्रेट अदालत ने बुधवार को सिंह को उनके खिलाफ दर्ज वसूली मामले में ‘‘भगोड़ा अपराधी'' घोषित किया। सिंह इस साल मई में आखिरी बार कार्यालय आए थे जिसके बाद वह अवकाश पर चले गए। राज्य पुलिस ने बंबई उच्च न्यायालय को पिछले महीने बताया कि सिंह के बारे में उसके पास कोई जानकारी नहीं है। 

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह भगौड़ा घोषित
वहीं इससे पहले मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को उनके और अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज वसूली के एक मामले में बुधवार को ‘‘फरार घोषित'' किया है। सिंह आखिरी बार इस साल मई में अपने कार्यालय में आए थे जिसके बाद वह छुट्टी पर चले गए थे। राज्य पुलिस ने पिछले महीने बंबई उच्च न्यायालय को बताया था कि सिंह कहां हैं, इस बारे में कुछ पता नहीं है। मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने यह कहते हुए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी सिंह को ‘‘फरार घोषित'' किए जाने का अनुरोध किया था कि उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद भी उनका पता नहीं लगाया जा सका है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 के तहत अदालत द्वारा उद्घोषणा प्रकाशित किए जाने पर आरोपी को हाजिर होने की आवश्यकता होती है अगर उसके खिलाफ जारी वारंट की तामील नहीं हो पाई है। धारा 83 के तहत उद्घोषणा प्रकाशित किए जाने के बाद अदालत एक आरोपी की संपत्ति जब्त करने का आदेश दे सकती है। गोरेगांव थाने में दर्ज मामले में पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे भी आरोपी है। 

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anil dev

Recommended News

Related News