बच्चों को ऑनलाइन गेम की लत से बचाने के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग पर फैसला करे केन्द्र: HC

punjabkesari.in Thursday, Jul 29, 2021 - 11:19 AM (IST)

नेशनल डेस्क:  दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को केन्द्र सरकार से कहा कि वह बच्चों को ऑनलाइन गेम की लत से बचाने के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग करने वाले प्रतिवेदन पर फैसला करे, क्योंकि ऑनलाइन गेम के कारण बच्चों को मनोवैज्ञानिक समस्याएं हो रही हैं। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने इसको लेकर एक याचिका का निपटारा करते हुए संबंधित अधिकारियों को मामले पर लागू कानून, नियमों, विनियमन और सरकारी नीति के अनुसार प्रतिवेदन पर फैसला करने का निर्देश दिया। इस याचिका में ऑफलाइन और ऑनलाइन गेम दोनों की ही सामग्री की निगरानी और मूल्यांकन करने के लिए एक नियामक प्राधिकरण का गठन करने का भी अनुरोध किया गया है। गैर-सरकारी संगठन डिस्ट्रेस मेनेजमेंट कलेक्टिव (डीएमसी) ने अधिवक्ता रॉबिन राजू और दीपा जोसेफ के माध्यम से यह याचिका दायर की थी।

 याचिका में कहा गया था कि कई अभिभावकों का कहना है कि उनके बच्चों में ऑनलाइन गेम की लत बढ़ गयी है, जिसके कारण बच्चों को विभिन्न प्रकार की मनोवैज्ञानिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है। इस संगठन की ओर से अदालत में पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में 10 जुलाई को संबंधित अधिकारियों को एक प्रतिवेदन (ज्ञापन) सौंपा था। याचिका के अनुसार ऑनलाइन गेम की लत के कारण बच्चों के आत्महत्या करने अथवा अवसाद में जाने के अलावा चोरी जैसे अपराध करने की कुछ हालिया घटनाओं ने एनजीओ को याचिका दायर करने के लिए मजबूर किया। 

याचिका के मुताबिक महामारी के इस दौर में बच्चों को अत्यधिक गैजेट के उपयोग से बचाना और नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती तथा समस्या बनकर सामने आई है। चूंकि कक्षाएं अब ऑनलाइन हो रही हैं, इसलिए माता-पिता बच्चों को मोबाइल फोन का उपयोग करने के लिए डांटने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसी कई रिपोर्ट सामने आई हैं जिसमें कहा गया है कि ऑनलाइन गेम का असर 6-10 आयु वर्ग के बच्चों के अलावा 11-19 आयु वर्ग के किशोरों के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। याचिका में कहा गया है कि ऑनलाइन गेम के बच्चों पर पड़ते प्रतिकूल प्रभाव को ध्यान में रखते हुए स्कूलों की ओर से उनके लिए परामर्श सत्रों का आयोजन किया जाना चाहिए। इसके अलावा इस बारे में एक राष्ट्रीय नीति भी बनाई जानी चाहिए। 


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Content Writer

Anil dev

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