Abdul Kalam Birth Anniversary: क्या आप जानते हैं अविवाहित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के थे तीन बेटे

punjabkesari.in Friday, Oct 15, 2021 - 02:08 PM (IST)

नई दिल्लीः 'मिसाइल मैन' के नाम से दुनिया भर में पहचाने जाने वाले भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीएजे अब्दुल कलाम की आज जयंती है। 15 अक्टूबर 1931 को जन्मे डॉ कलाम को आज भी देश के युवा और बच्चे अपना रोल मॉडल मानते हैं।  देश उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा। डाॅ. कलाम का जीवन हमेशा लोगों के लिए प्रेरणा का श्रोत है, कलाम ने ये साबित किया कि इंसान अपने कर्मों और ज्ञान से ही बड़ा बनता है ना कि कपड़ों और पैसों से।

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डॉ. कलाम देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति बने, जो सोशल मीडिया में लगातार  युवाओं तथा नए वैज्ञानिकों और बच्चो के लिए प्रेरक बाते लिखा करते थे। ये बात पूरी दुनिया जानती है कि बच्चों के बेहद प्रिय कलाम साहब ने पूरा जीवन अकेले बिताया, उन्होंने शादी नहीं की और ना ही अपना परिवार बढ़ाया, लेकिन सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि उनके बच्चे थे।

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इस बात को खुलासा जब एक इंटरव्यू के दौरान हुआ, जब उनके निजी जीवन के बारे में पूछा गया। दरअसल, एक बार राष्ट्रपति भवन में कलाम साहब बच्चों के बीच में घिरे हुए थे। उसी वक्त वहां उनका इंटरव्यू लेने आए एक विदेशी पत्रकार ने उनसे पूछा था कि आपकी कोई अपनी संतान नहीं है फिर भी आप बच्चों से इतना प्यार करते हैं? पत्रकार की बातें सुनकर कलाम साहब मुस्कुराए और बड़ी शालीनता के साथ बोले कि नहीं आप गलत हैं मेरे तीन बच्चे हैं। कलाम साहब का यह जवाब सुनकर सब हैरान रह गए, लेकिन जब उन्होंने अपनी पूरी बात कही तो हर किसी की आंखें खुशी और गर्व से छलछला उठीं, क्योंकि कलाम ने कहा कि आपको पता नहीं मेरे तीन बेटे हैं, जिनके नाम हैं पृथ्वी, अग्नी और ब्रह्मोस।

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बच्चों से बेइंतहा मोहब्बत 
15 अक्टूबर, 1931 को भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के रामेश्वर में पैदा हुए एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। एक मछुआरे घर में जन्मे कलाम साहब का बचपन बेहद अभावों में बीता था। गणित और भौतिक विज्ञान उनके पसंदीदा विषय थे। शिक्षा से कलाम को इतना प्रेम था कि वह बस स्टैंड पर अखबार बेच कर अपनी पढ़ाई का खर्च निकाला करते थे।

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कलाम ने अपनी पढ़ाई सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से की थी। उन्हें साल 2002 में भारत का राष्ट्रपति बनाया गया था। वो बच्चों से बेइंतहा मोहब्बत करते थे और इसे विधि का विधान कहिए कि अपने अंतिम वक्त में भी वो बच्चों के ही साथ थे। आपको बता दें कि उनका 27 जुलाई, 2015 को शिलांग में निधन हो गया था वे आईआईएम शिलांग में लेक्चर देने गए थे, इसी दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वो पंचतत्व में लीन हो गए थे।


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Content Writer

Anil dev

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