आखिर क्यों भारत में कोवैक्सीन की प्रभावशीलता के दावे पर उठ रहे हैं सवाल?

punjabkesari.in Monday, Jan 04, 2021 - 06:15 PM (IST)

नेशनल डेस्क: विशेषज्ञों ने कुछ स्वास्थ्य सरकार के इस दावे पर सोमवार को सवाल उठाया कि भारत बायोटेक का कोविड-19 टीका कोवैक्सीन कोरोना वायरस के नये प्रकारों के खिलाफ कारगर हो सकता है और इसका इस्तेमाल बैकअप के तौर पर किया जा सकता है। विशेषज्ञों ने इस दावे और टीके की सुरक्षा और प्रभावशीलता के वैज्ञानिक आधार की मांग की। देश के औषधि नियामक ने रविवार को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड और स्वदेश विकसित कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दे दी। हालांकि, कोवैक्सीन की प्रभावशीलता और सुरक्षा को लेकर पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं हैं, जिससे बहस छिड़ गई है। प्रख्यात वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील ने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं है कि अंतत: कोवैक्सीन सुरक्षित साबित होगी और 70 प्रतिशत से अधिक प्रभावशीलता दिखाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी चिंताएं टीके को मंजूरी देने के लिए अपनाई गई प्रक्रियाओं और जिम्मेदार पदों पर बैठे व्यक्तियों के बयानों आधारित हैं। 

उन्होंने कहा, यदि मंजूरी के लिए एक प्रतिनिधि आबादी के सुरक्षा और प्रभावशीलता संबंधी डेटा की आवश्यकता होती है, तो दूसरा चरण सुरक्षा और प्रतिरक्षाजनकता (इम्युनोजेनेसिटी) के उस मानदंड को पूरा नहीं करता। उन्होंने कहा, यही कारण है कि हम चरण तीन का संचालन करते हैं। वह डेटा कहां है? टीका, दवा नहीं है। वे स्वस्थ लोगों को दिए जाते हैं। ये प्रतिरोधी होता है, कोई इलाज नहीं। सुरक्षा और प्रभावशीलता, दोनों की आवश्यकता होती है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि बैकअप के लिए मंजूरी क्या है? क्या इसका मतलब यह है कि यदि आवश्यक होगा, तो अप्रमाणित प्रभावशीलता वाले किसी टीके का उपयोग किया जाएगा? भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डा. बलराम भार्गव ने रविवार को कहा था कि च्कोवैक्सीन' में ब्रिटेन में सामने आये वायरस के नये प्रकार सहित अन्य प्रकारों को भी निशाने बनाने की क्षमता है, जो इस टीके को मंजूरी दिये जाने का एक प्रमुख आधार है। हालांकि, उन्होंने कहा कि टीके की प्रभाव क्षमता के बारे में अभी तक कोई स्पष्ट डाटा उपलब्ध नहीं है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) निदेशक रणदीप गुलेरिया ने सोमवार को कहा कि भारत बायोटेक के टीके को केवल आपात स्थितियों में बैकअप के रूप में मंजूरी दी गई है।

उन्होंने कहा, अगर मामलों में बढ़ोतरी होती है तो हमें टीके की बड़ी खुराक की आवश्यकता हो सकती है तो हम भारत बायोटेक के टीके का इस्तेमाल कर सकते हैं। भारत बायोटेक का टीका एक बैकअप अधिक है। उन्होंने प्रक्रिया में तेजी के दावों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, किसी भी क्लीनिकल ​​परीक्षण को सुरक्षा और प्रभावशीलता के मामले में तेज नहीं किया गया। तेजी विनियामक मंजूरी लेने में की गई जिसमें आमतौर पर एक चरण से दूसरे चरण में जाने में लंबा समय लगता है। ऑल इंडिया ड्रग्स एक्शन नेटवर्क (एआईडीएएन) ने भी इस दावे पर सवाल उठाया कि च्कोवैक्सीन वायरस के ब्रिटेन में सामने आये नये प्रकार (स्ट्रेन) के खिलाफ बेहतर काम कर सकता है, जो अधिक संक्रामक है। एआईडीएएन ने कहा, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इस दावे का कोई वैज्ञानिक आधार है कि कोवैक्सीन वायरस के नये प्रकार से संक्रमण के संदर्भ में प्रभावी होगा जब इसकी प्रभावशीलता स्थापित नहीं की गई है और वायरस के किसी नये प्रकार के खिलाफ प्रभाव वर्तमान में अज्ञात है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Anil dev

Recommended News

Related News