बीजापुर मुठभोड़: टल सकता था ये बड़ा नक्सली हमला, गलत खुफिया जानकारी बनी 22 जवानों के लिए काल

punjabkesari.in Monday, Apr 05, 2021 - 01:32 PM (IST)

नेशनल डेस्क: छत्तीसगढ़ में तकरीबन 400 नक्सलियों के एक समूह ने उन सुरक्षाकर्मियों पर घात लगाकर हमला किया था, जो एक विशेष अभियान के लिए तैनात एक बड़ी टुकड़ी का हिस्सा थे। नक्सलियों के साथ हुई इस मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के कम से कम 22 जवान शहीद हो गए और 30 अन्य घायल हो गए। सूत्रों के मुताबिक इस हमले के पीछे गलत खुफिया जानकारी का होना बताया जा रहा है। 

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नक्सलियों के छिपे होने की जानकारी एक जाल साबित हुई
सूत्रों के मुताबिक सुरक्षाबलों को खुफिया जानकारी मिली थी कि नक्सलियों के दो बड़े कमांडर माडवी हिडमा और उसकी सहयोगी सुजाता बीजापुर के तर्रेम इलाके में जोनागुड़ा पहाडिय़ों के पास के छिपे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक खुफिया जानकारी के आधार पर सुरक्षाबल जब सुराग वाली जगह पर पहुंचे तो करीब 400 नक्सलियों ने उन्हें तीन तरफ से घेर लिया। सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच जोरदार मुठभेड़ हुई। सुरक्षाबलों ने भी बाहदुरी का परिचय देते हुए जोरदार पलटवार किया, लेकिन जंगल के हालातों का फायदा नक्सलियों को मिला और सुरक्षाबलो को भारी नुकसान उठाना पड़ा। अधिकारियों के मुताबिक नक्सलियों ने अंग्रेजी के यू अक्षर के आकार में तीन तरफ से सुरक्षाबलों पर धावा बोला। सुरक्षाबलों को मिली नक्सलियों के छिपे होने की जानकारी एक जाल साबित हुई। 

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नक्सलियों ने इस हमले में कर दी गोलियों की बौछार 
सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा बलों के 1,500 जवानों की टुकड़ी ने बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा के आसपास के क्षेत्र में नक्सलियों की मौजूदगी की गुप्त सूचना पर दोपहर के बाद तलाशी और नष्ट करने का अभियान शुरू किया था। इस टुकड़ी में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की विशेष इकाई कोबरा के जवान, इसकी नियमित बटालियनों की कुछ टीमें, इसकी बस्तरिया बटालियन की एक इकाई, छत्तीसगढ़ पुलिस से संबद्ध जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और अन्य जवान शामिल थे। एक अधिकारी ने बताया कि वांछित माओवादी कमांडर एवं तथाकथित पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन नंबर 1 के नेता हिडमा और उसकी सहयोगी सुजाता के नेतृत्व में कम से कम 400 नक्सलियों के शनिवार को घात लगाकर किए गए हमले में शामिल होने का संदेह है। नक्सलियों द्वारा किया गया यह हमला एक ऐसे क्षेत्र में किया गया जो दुर्गम इलाका, घने जंगल और सुरक्षा बलों के शिविरों की कम संख्या के चलते नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। नक्सलियों ने इस हमले में हल्की मशीन गन (एलएमजी) से गोलियों की बौछार की और कम तीव्रता वाले आईईडी का इस्तेमाल किया, जो शाम तक जारी रहा। 

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हेलीकॉप्टर हताहतों को लेने के लिए लगभग शाम 5 बजे उतरा
उन्होंने कहा कि नक्सली इस मुठभेड़ में मारे गए अपने करीब 10-12 साथियों को ट्रैक्टर ट्रॉलियों पर अपने साथ ले गए। सूत्रों ने कहा कि अभियान के लिए सुरक्षा बलों के जवानों की कुल स्वीकृत संख्या 790 थी और बाकी को सहायक के रूप में साथ लिया गया था। एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने गुप्त सूचना मिली थी कि नक्सली जगरगुंडा-जोंगागुड़ा-तर्रेम क्षेत्र में अपना आक्रामक अभियान संचालित कर रहे हैं और इसलिए उन्हें रोकने के लिए छह शिविरों के सुरक्षा बलों की टीमों को तैनात किया गया था। अधिकारी ने बताया, नक्सलियों ने घात लगाकर हमला करते हुए भारी गोलाबारी की और घायल कर्मियों को वहां से निकालने के लिए हेलीकॉप्टर की सेवा मांगी गई। उन्होंने कहा कि नक्सलियों ने सुरक्षाकर्मियों को तीन तरफ से घेर लिया था और जंगलों में भारी गोलाबारी की गई। छत्तीसगढ़ में तैनात एक अन्य अधिकारी ने कहा कि बस्तर के जगदलपुर से राज्य पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के दो महानिरीक्षक (आईजी) रैंक के अधिकारी इस अभियान की निगरानी कर रहे थे। एक अन्य अधिकारी ने कहा, बचाव हेलीकाप्टरों को जब हताहत हुए व्यक्तियों को निकालने के लिए भेजा गया तो वे अपराह्न 2 बजे के आसपास नक्सलियों के साथ मुठभेड़ वाले इलाके में नहीं उतर सके क्योंकि भारी गोलीबारी हो रही थी। हेलीकॉप्टर हताहतों को लेने के लिए लगभग शाम 5 बजे ही उतरा।

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नक्सली शहीद हुए जवानों के हथियार भी लूट ले गए 
इस मुठभेड़ में शहीद हुए 22 कर्मियों में से सीआरपीएफ के आठ जवान शामिल हैं, जिसमें से सात कोबरा कमांडो से जबकि एक जवान बस्तरिया बटालियन से है। उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ के एक इंस्पेक्टर अभी भी लापता हैं। अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा बलों के अधिकतर जवान गोली लगने से शहीद हुए जबकि एक के बारे में संदेह है कि वह बेहोश हो गया और बाद में पानी की कमी होने के चलते उसकी मृत्यु हो गई। अधिकारी ने कहा, सुरक्षा बलों के जवानों, विशेष रूप से कोबरा कमांडो ने बहुत बहादुरी से मुकाबला किया और सुनिश्चित किया कि नक्सली अनुकूल परिस्थिति में होने के बावजूद इस मुठभेड में अधिक समय तक टिके नहीं रह पायें। उन्होंने कहा कि सुरक्षाकर्मियों ने बड़े पेड़ों की आड़ ली और तब तक गोलीबारी जारी रखी जब तक उनके पास गोलियां समाप्त नहीं हो गईं। उन्होंने कहा कि एक स्थान पर सुरक्षा बलों के सात पार्थिव शरीर मिले और पेड़ पर गोली लगने के निशान थे। बताया जाता है कि नक्सली शहीद हुए जवानों के लगभग दो दर्जन अत्याधुनिक हथियार भी लूट ले गए।


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Content Writer

Anil dev

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