अफगान सिख ने सुनाई खौफ की दास्तां, बोले-  काबुल में हम दिन-रात डर के साये में रह रहे थे

punjabkesari.in Friday, Jul 15, 2022 - 11:22 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: अफगान सिख 27 वर्षीय राजिंदर सिंह के लिए बीता साल किसी दु:स्वप्न से कम नहीं था, जब उन्होंने तालिबान के कब्जे वाले काबुल में चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण अपने अजन्मे बच्चे को खो दिया और दिन-रात डर के साये में रहे। राजिंदर और उनकी पत्नी उन 21 अफगान सिखों में शामिल हैं जो बृहस्पतिवार को दिल्ली पहुंचे।

भारत सरकार अफगानिस्तान से अल्पसंख्यकों को निकालने का अभियान चला रही है, जिसके तहत ये लोग यहां पहुंचे। सिंह की सात माह की गर्भवती पत्नी ने चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में सितंबर 2021 को अपने अजन्मे बच्चे को खो दिया था। राजिंदर ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘काबुल शहर कब्रगाह में तब्दील हो गया है और उस समय किसी भी अस्पताल तक पहुंच पाना नामुमकिन-सा था। मेरी पत्नी सात माह की गर्भवती थी जब हमने अपने बच्चे को खो दिया था।

 कोई डॉक्टर नहीं था, जांच कराने का कोई तरीका नहीं दिखा।'' तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद काबुल में अल्पसंख्यक हिंदू और सिख समुदायों के ज्यादातर लोगों ने एक गुरुद्वारे में शरण ले ली थी। राजिंदर ने कहा, ‘‘हमें दो महीनों तक गुरुद्वारे की चारदीवारी से आगे कुछ भी देखने को नहीं मिला। अफगानिस्तान में कोई भी सुरक्षित नहीं है। हमारी जान पर लगातार खतरा बना हुआ था।'' काबुल में गुरुद्वारा दश्मेश पिता गुरु गोबिंद सिंह कर्ते परवान पर 18 जून को हमला हुआ था। गुरुद्वारे में कई अफगान सिख अल्पसंख्यकों ने शरण ली हुई थी। राजिंदर ने कहा, ‘‘मेरा घर गुरुद्वारे के बिल्कुल पीछे था। जब गुरुद्वारे पर हमला हुआ तो हमें अपने घर पर भी गोलियों की आवाजें सुनायी दीं। उस समय ऐसा कोई नहीं था जिससे हम मदद मांग सकते थे। 

फिर भारत सरकार ने हमारी मदद की और हम वहां से निकल सके।'' अधिकारियों ने बताया कि बृहस्पतिवार को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी), इंडियन वर्ल्ड फोरम और केन्द्र सरकार की मदद से 21 अफगान सिखों को काबुल से यहां लाया गया। इनमें तीन बच्चे और एक शिशु भी शामिल हैं। इंडियन वर्ल्ड फोरम के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंदोक ने कहा, ‘‘हम इंडियन वर्ल्ड फोरम की ओर से हरसंभव मदद कर रहे हैं। उनकी सुविधा के लिए सभी तरह की व्यवस्था की गयी है। हम अफगानिस्तान से भारत तक उनकी सुरक्षित यात्रा के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं।'' 

उन्होंने बताया कि करीब 130 अफगान हिंदू और सिख अब भी अफगानिस्तान में हैं और भारत सरकार के पास वीजा जारी करने के लिए करीब 60 आवेदन लंबित है। उन्होंने कहा, ‘‘तालिबान सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है। उनमें रोष है। वे नहीं चाहते कि अफगान सिख और हिंदू देश छोड़कर जाए क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उन्हें शर्मिंदा होना पड़ेगा।''


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Content Writer

Anil dev

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