'मोदी मैजिक' ने तोड़ा तेजस्वी का सपना, ये रहे NDA की जीत के 5 बड़े कारण

punjabkesari.in Wednesday, Nov 11, 2020 - 11:02 AM (IST)

नेशनल डेस्क: बिहार विधानसभा चुनाव की मंगलवार को हुई मतगणना में अमरीकी राष्ट्रपति के चुनाव की तरह जबर्दस्त सस्पेंस देखने को मिला। दिन भर चली मतगणना में आंकड़े ऊपर नीचे होते रहे। देर रात तक जाकर दलीय स्थिति साफ हो पाई और एनडीए ने धीरे धीरे बहुमत के लिए जरूरी 122 का आंकड़ा पार कर लिया। बिहार विधान सभा चुनाव के नतीजों के बाद एनडीए 125 सीटों पर जीत के साथ पूर्ण बहुमत हासिल करने में कामयाब रही, जबकि महागठबंधन 110 सीट ही जीत पाई। एनडीए की जीत के सबसे बड़े नायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने और मोदी मैजिक ने तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने का सपना तोड़ दिया। आईए जानते हैं एनडीए की जीत के 5 बड़े कारण। 

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एनडीए को मिली जीत के पीछे महिला फैक्टर 
बिहार में एनडीए को मिली जीत के पीछे सबसे बड़े कारण महिला फैक्टर बताया जा रहा है। चुनावी विश्लेषकों की मानें तो बिहार की महिलाओं ने लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में रेप, लूट, मार और गुंडागर्दी का दौर झेला है। माना जा रहा है कि इस बार बिहार चुनाव में महिलाओं ने सुरक्षा के मुद्दे पर एनडीए को चुना है। इसके साथ दूसरा बड़ा कारण बिहार में सीएम नीतीश यादव द्वारा की गई शराबबंदी भी रहा। महिलाओं ने शराबबंदी के नाम पर भी जेडीयू और एनडीए को बढ़ चढ़कर वोट किया है।

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तेजस्वी 10 लाख नौकरी देने का खोखला दावा
बिहार चुनावों के दौरान राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि था कि सत्ता मिलने पर आरजेडी सरकार पहली ही कैबिनेट में युवाओं को 10 लाख नौकरी देगी। इसके साथ ही बिहारी युवाओं के लिए सरकारी नौकरी में आरक्षण की व्यवस्था भी की जाएगी। तेजस्वी का घोषणा पर पलटवार करते हुए नीतीश कुमार ने कहा था कि तेजस्वी 10 लाख नौकरी देने का दावा कर रह रहे हैं, लेकिन वह इतना बजट कहां से लाएंगे। अगर तेजस्वी बिहार का बजट और मौजूदा स्थिति को देखें तो उन्हे दाल-आटे के भाव का पता लग जाएगा। 10 लाख नौकरियां हवा में नहीं दी जाती।  नीतीश कुमार के बयान के बाद युवाओं को तेजस्वी के वादा झूठा लगा जिसका सीधा फायदा एनडीए को मिला। 

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लोगों का भरोसा जीतने में कामयाब रही भाजपा
एनडीए को बिहार चुनाव में जेडीयू से भी अधिक सीटें मिलने का कारण भाजपा की घोषणाओं और वादों पर भरोसा दिलाना भी कहा जा सकता है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाना हो या फिर सीएए भाजपा ने अपने घोषणापत्रों में शामिल अधिकांश वादों को पूरा किया है। ऐसे में भाजपा ने लोगों को नौकरी देने की बजाए रोजगार देने का वादा किया था, जिसमें युवाओं को सच्चाई दिखी। राजनीतिक जानकारों की मानें तो भाजपा बिहार में लोगों का विश्वास जीतने में सफल रही। 

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मोदी ने एनडीए की ओर से संभाला मोर्चा 
नीतीश कुमार के प्रति जनता में गुस्सा था, लेकिन जब बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए की ओर से मोर्चा संभाला तो हवा का रुख बदलना शुरू हुआ। पीएम मोदी ने करीब एक दर्जन सभाएं की, कई रैलियों में वो नीतीश कुमार के साथ भी नजर आए। पीएम ने लगातार नीतीश की तारीफ की, लोगों से अपील करते हुए कहा कि उन्हें नीतीश सरकार की जरूरत है। इसके अलावा केंद्र की योजनाओं का गुणगान हो, राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर विपक्ष पर वार करना हो या फिर राजद के जंगलराज का जिक्र कर तेजस्वी पर निशाना साधना हो, पीएम मोदी ने अकेले दम पर एनडीए के प्रचार को आगे बढ़ाया। जिसका परिणाम आज सबके सामने आए है। 

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चुनाव में तेजस्वी के खिलाफ जंगलराज के युवराज का नारा
बिहार चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी और जेडीयू ने अपने 15 वर्षों के शासन की तुलना लालू-राबड़ी के 15 वर्षों के शासन से की और उसके बाद वोट देने की अपील की। इसके साथ ही, लोगों में यह भय पैदा किया गया कि अगर उन्होंने लालू यादव के बेटे तेजस्वी के नाम पर वोट किया तो बिहार की 15 साल पहले जैसी ही स्थिति हो जाएगी। इस चुनाव में तेजस्वी के खिलाफ नारा दिया गया- जंगल राज का युवराज।


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Anil dev

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